सावधान देरी से बढ़ता संक्रमण, 40 प्रतिशत फेफड़ों में नुकसान लेकर पहुंच रहे मरीज -मरीज शरीर में आक्सीजन स्तर के कमी से भी अंजान रहते हैं-
देवास। जिले में कोरोना कहर बरपा रहा है। लगातार बड़ी संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं। इसमें सबसे चिंता की बात हैं कि ज्यादातर मरीजों के फेफड़ों में ज्याादा संक्रमण सामने आ रहा है। इलाज में देरी भी संक्रमण की बड़ी वजह है। पहले मरीज अपने स्तर पर इलाज करता है। इसके बाद जब फायदा नहीं होता है तो अस्पताल में पहुंचता है। ऐसी में मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है। ज्यादातर मरीजों के फेफड़ों में 30 से लेकर 40 प्रतिशत संक्रमण सामने आ रहा है। इससे मरीजों को आक्सीजन पर रखने की जरूरत पड़ रही है। आक्सीजन डिमांड ज्यादा होने का भी यह सबसे बड़ा कारण है। विशेषज्ञों का मानना है कि मरीज लक्ष्णों को अनदेखा करते हैं और जब अस्पताल पहुंचते तो संक्रमण फेफड़ों तक चला जाता है। लक्ष्णों को नजर अंदाज नहीं करें। डॉक्टरों से संपर्क जांच करवाए। जांच और इलाज में देरी से लोगों की जान को खतरा होता है। देरी से फेफड़ों में ज्यादा नुकसान हो सकता है। इससे मरीज के जीवन को बचाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। -दूसरा बड़ा कारण..,हैप्पी हाइपोक्सिया, शरीर में कम होती आक्सीजन से लोग अंजान होते हैं- – जिले में तेजी से कोरोना संक्रमण और मौत का सिलसिला जारी है, लेकिन सबसे ता की बात है कि ज्यादार मरीज अब हैप्पी हाइपोक्सिया स्टेज का शिकार भी हो रहे हैं यानी मरीज के शरीर में ऑक्सीजन के लेवल का पता ही नहीं चल पाता है और वह गंभीर संक्रमण की स्थिति में चला जाता है। इस स्टेज में मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 70 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद भी वह सामान्य रहता है। खुद को स्वस्थ्य महसूस करता है। जब 30 से 40 प्रतिशत स्तर पर पहुंचता है तो मरीजों को बीमारी का अहसास होता है। ऐसी परिस्थित में मरीज को संभालना मुश्किल होता है और उसका जीवन संकट में चला जाता है और उसकी मौत भी हो जाती है। -इसलिए चिंता, क्योंकि इसमें व्यक्ति स्वास्थ्य महसूस करता है- कोविड को छोड़कर दूसरी बीमारियों की बात करें तो मरीज को घबराहट, सांस लेने में दिक्कत, थकावट सहित अन्य शारीरिक दिक्कतें होती है, इसमें मरीज खुद को अस्वस्थ महसूस करता है, लेकिन अभी कोरोना कोरोना मरीज में आक्सीजन लेवल 70 प्रतिशत से कम होने पर भी इम्युनिटि अच्छी होने पर वह खुद को स्वस्थ महसूस करता है। ऐसे में हालात बिगड़ने पर उसकी जान पर आ जाती है। -कितना होना चाहिए आक्सीजन लेवल- 95 से 100 प्रतिशत तक आक्सीजन लेवल होना चाहिए। एक स्वस्थ आदमी में आक्सीजन का स्तर 95 प्रतिशत से ऊपर होना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति का 90 से 94 प्रतिशत है तो वह गंभीर स्थिति होती है। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर स्तर 90 से नीचे चला जाता है तो अति गंभीर की स्थिति हो जाती है। ऐसे में फेफड़ों में दिक्कत होना शुरू हो जाती है। शरीर में कार्बन डाइआक्साइड बढ़ने लगती है। इससे शरीर के अंग पर प्रभाव होता है कि जो जानलेवा साबित होता है। इसलिए आक्सीजन स्तर की जांच करते रहिए। असामान्य स्थिति होने पर तुंरत डॉक्टर से संपर्कर करें। -40 प्रतिशत तक फेफड़ों में संक्रमण आ रहा है- हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज शरीर में कम होती आक्सीजन से अंजान होता है। तो उसके लिए घातक साबित होती है। मरीज अपने स्तर और अन्य स्थानों पर इलाज के चक्कर में देर हो जाते हैं। देरी से आने की उनकी स्थिति गंभीर होती है। ऐसी हालात में उसे बचाना मुश्किल होता है। कई लोग 30 से 40 प्रतिशत ऑक्सीजन लेवल पर अस्पताल पहुंचते हैं। ऐसे में रिकवर करना बहुत ही मुश्किल होता है। इस अवस्था में कोरोना बहुत खतरनाक होता है। अगर वह समय पर डॉक्टर की सलाह माने और अस्पताल पहुंचे तो उसे बचा सकते हैं। अभी जो लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं उनके फेफड़ों में 30 से 40 प्रतिशत संक्रमण सामने आ रहा है।
डॉक्टर बीआर शुक्ला, कोविड वार्ड प्रभारी
