वार्ड क्रमांक 23 से 34 तक का भ्रमण कर सर्वे — महापौर सभापति के दावेदार वार्ड में पार्षद के लिए विरोधियों ने जोर करा दिया(भाग 3)

अभी तक हमने वार्ड क्रमांक एक से 22 तक का सर्वे किया ।अब आगे वार्ड क्रमांक 23 में चलते हैं ।

जहां इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हुआ। यह वार्ड जिला अध्यक्ष राजू खंडेलवाल का घरेलू वार्ड जहां से राजू खंडेलवाल व उनकी पत्नी पूर्णिमा खंडेलवाल लगातार पार्षद रहे है इसके पूर्व एक बार मांगीलाल विजय वर्गीय पार्षद रहे हैं भाजपा का परंपरागत वार्ड होने के साथ जिलाध्यक्ष के खास समर्थक आलोक साहू को टिकट मिला परंतु इस बार निर्दलीय उमेश चौधरी भी बहुत भारी पड़े। सामने कांग्रेस में भी दमदार उम्मीदवार विशाल यादव को खड़ा किया था उमेश बरगद का पेड़ बन गए पहले भी बगावत कर निर्दलीय लड़े थे। तब भी अच्छे वोट लाए थे परंतु इस बार इन्होंने यहां का माहौल रोमांचक बना दिया है ।त्रिकोणी संघर्ष में भाजपा के परंपरागत वार्ड मैं आलोक साहू को भी जीत के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।

वार्ड क्रमांक 24 यह वार्ड वैसे तो भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत वार्ड रहा है परंतु यहां पर एक बार निर्दलीय ने जीत कर वार्ड का इतिहास बदल दिया है इस बार भी कुछ ऐसा ही इतिहास बनने जा रहा है इस वार्ड में पूर्व महापौर शरद पाचुनकर का वर्चस्व रहा है यहां से सबसे पहले वे पार्षद का चुनाव जीते प्रतिपक्ष नेता बने और उसके बाद महापौर उनकी पसंद का ही टिकट मिलता है यहां पर उनका भतीजा धर्मेंद्र पाचुनकर और संतोष भाटी भी उनके ही समर्थक रहे हैं इस बार महिला पिछड़ा वर्ग होने के कारण यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने रितु सवनेर को भाजपा के एक प्रदेश के नेता कोटे में टिकट दिया। रितु सावनेर ने सामाजिक कार्य से अपनी पहचान बनाई थी अपना एनजीओ चलाने के साथ भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़ गई। परंतु वार्ड में इनका संपर्क का भी नया रहा इस कारण यहां पर वर्षों से कार्य कर रही महिला दावेदार नाराज रही ।यही कारण है कि यहां निर्दलीय शिवानी पटेल के टेलीफोन पर और मंजू भूतिया की बाल्टी खूब चली सामने कांग्रेस ने रूपा राजेंद्र यादव जो कि धार्मिक सामाजिक क्षेत्र में काफी सक्रिय रहे हैं उनको टिकट दिया इनकी सक्रियता  रही परंतु चुनाव मैनेज करने में जरूर यह पीछे रहे ।यहां पर निर्दलीय का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। भाजपा उम्मीदवार के साथ निर्दलीय भारतीय जनता पार्टी से जुड़े बगावत कर गए अगर तीनों के वोट बट जाते हैं और कुछ कम हो जाते हैं तो परिणाम अलग होंगे

वार्ड क्रमांक 25 यहां का चुनाव अलग ही संकेत बता रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से पूर्व पार्षद मनीष सेन को फिर मौका दिया तो कांग्रेस ने युवा नए चेहरे मयंक जैन को मौका दिया। पूर्व महापौर जय सिंह ठाकुर के कोटे का टिकट रहा जिन्होंने मयंक जैन के लिए मेहनत भी अच्छी की इधर भाजपा में यहीं से मेहनत कर रहे कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिलने से नाराजगी रही ,निर्दलीय बगावत कर चुनाव लड़ रहे संकेत राय को भी अच्छा समर्थन मिला ।जबकि यह भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत वार्ड है यहां से अभी तक भारतीय जनता पार्टी नहीं हारी है। इस बार त्रिकोणीय संघर्ष यहां पर देखने को मिल रहा है मनीष सेन सभापति के प्रबल दावेदार है बस उनका भाग्य पार्षद के चुनाव में साथ दे दे।

वार्ड क्रमांक 26 जहां भारतीय जनता पार्टी को अच्छी लीड मिलती है परंतु सबसे पहले यहां पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा अशोक सोलंकी को टिकट देने के बाद यहां की जनता ने कांग्रेसी उम्मीदवार राजेश राठौड़ को मौका दिया दूसरी बार भी भारतीय जनता पार्टी ने अनु त्रिवेदी को टिकट दिया वह टिकट पूर्व मंत्री दीपक जोशी कोटे से  था तब महाराज ने निर्दलीय सुभाष शर्मा को खड़ा कर चुनाव जितवा दिया उसके बाद से यहां पर सुभाष शर्मा या उनके समर्थक सुनील सोनी मिलिंद सोलंकी की पत्नी चुनाव जीती। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने सुभाष शर्मा और उनके पुत्र को टिकट नहीं दिया इससे उनमें नाराजगी रही इस बार यहां पर महापौर के दावेदार रवि जैन जो सभापति की दावेदारी के लिए पार्षद का चुनाव लड़े सामने कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी अलका शर्मा को टिकट दिया अलका शर्मा पूर्व मैं भी यहां से चुनाव हार चुकी है ।अलका शर्मा ने चुनाव अच्छा लड़ा निर्दलीय पंकज सोनी के बरगद और सुरेश सांवलिया केक कितने वोट ले जा पाएंगे उस पर निर्भर है वरना यहां पर रवि जैन भारी पड़ रहे हैं।

वार्ड क्रमांक 27 यहां पर पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के पार्षद अंसार अहमद हाथी वाले चुनाव जीते थे और सभापति भी बने थे इस बार भारतीय जनता ने शकील अपना की पत्नी निगार खान को क्षेत्र से टिकट दिया तो कांग्रेस ने आबिद खान की पत्नी फरजाना खान को आबिद खान की पत्नी फरजाना पूर्व में इसी क्षेत्र से पार्षद रह चुकी है और आबिद खान वार्ड क्रमांक 40 से निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं यह उनका तीसरा चुनाव है और कांग्रेसमें सभापति की भी दावेदारी है यहां से निर्दलीय मुमताज शेख की बाल्टी भी चली मुकाबला आमने सामने फरजाना आबिद खान और निगार शकील अपना के बीच था शकील शेख पूर्व में वार्ड क्रमांक 7 से चुनाव हार चुके हैं इस बार संगठन ने फिर मौका दिया अभी तक के रुझान से तो फरजाना खान ही आगे चल रही है कभी अंदर ही अंदर कुछ बदलाव हो गया हो तो निगार शेख के चांस बन सकते हैं।

वार्ड 28 मैं भी इस बार सबसे ज्यादा प्रत्याशी चुनाव लड़े यहां से कांग्रेसमें पूर्व पार्षद अजीब भल्ला को टिकट दिया अगर कांग्रेस की परिषद बनती है तो वह सभापति के दावेदार भी है सामने नया चेहरा भूपेंद्र ठाकुर गुड्डू को भारतीय जनता पार्टी ने मौका दिया यह वार्ड पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के मुकेश सांगते  उसके पहले कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज हेतावल चुनाव जीते थे इस बार यहां पर निर्दलीय भी भारी पड़ रहे हे राजेंद्र दावरे का हाथी भी चला तो सचिन सिलोदिया की जीप भी अजय सांगते का केक हारून नागौरी का बरगद पंकज खोचनवार का नारियल पेड़ भी परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा यहां पर इतने सारे निर्दलीयों ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं ।

वार्ड क्रमांक 29 जहां से पूर्व में पार्षद रही सपना अजय पंडित को भाजपा ने तो कांग्रेस मैं प्रेम भाई महेंद्र धारु को टिकट दिया। यहां पर मुकाबला आमने सामने है पहले तो सपना पंडित आगे थी परंतु अंतिम दौर में प्रेम महेंद्र  भी बराबरी पर आ गई हैं यहां पर मुकाबला रोचक हो गया है 50-50 का मामला है।

वार्ड क्रमांक 30 जहां एक ही परिवार पिछले 5 चुनाव से लगातार विजय रहा कांग्रेस ने उसी परिवार से पूर्व महापौर पति और देवास विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हारून शेख को टिकट दिया वैसे पहले यहां पर हर उनसे के परिवार से बहू और बेटा पार्षद का चुनाव जीत चुके हैं पूरा परिवार चुनाव जीत चुका है इस बार सभापति के चांस के कारण विधानसभा चुनाव हारने के बाद हारून शेख पार्षद के लिए संघर्ष करते नजर आए यहां पर संघ के नेता शीतल गहलोत ने स्वयं टिकट मांगा और लेकर आए उसके बाद चुनाव भी विधानसभा के हिसाब से ही लड़ा इस वार्ड पर पूरे देवास की नजर है इस बार शीतल भारी पड़ते नजर आ रहे हैं फिर भी वर्षों पुराने हारून शेख को अपने पुराने कार्य और संबंधों के कारण उम्मीद है बरहाल शीतल का पलड़ा भारी है।।

वार्ड क्रमांक 31 यहां पर एक अनार सौ बीमार से हाल है। भारतीय जनता पार्टी में यहां से नए चेहरे विकास जाट को मैदान में उतारा तो कांग्रेस ने भी अनिल पटेल को मौका दिया। यहां पर निर्दलीय संख्या सबसे ज्यादा है पूर्व पार्षद सुनील योगी ने बगावत कर अपनी जीप मैं मतदान का रुख बदल दिया ।पवन व्यास ब्लैक बोर्ड पर लोगों को रिझाया और पंकज भैया बरगद के नीचे कई लोगों को ले आए आप पार्टी ने भी यहां पर कैलाश मुन्नालाल को प्रत्याशी बनाया वह भी पूरे समय डटे रहे पूर्व में संगठन से मिले टिकट से हारे और फिर बगावत कर चुनाव लड़े और हारे लोकेश विजयवर्गीय ने फिर मीठा केक बांटा अकील नागोरी की बाल्टी और अर्जुन की नाव भी चली यहां पर निर्दलीय भारी नजर आ रहे हैं । कांग्रेस भाजपा को लाभ यदि सारे निर्दलीय समान वोट ले जाते हैं तो मिल सकता है।

वार्ड क्रमांक 32 यहां पर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व पार्षद परिवार को टिकट बना देते हुए संगठन के प्रवीण वर्मा की पत्नी निधि वर्मा को टिकट दिया तो भाजपा के पूर्व पार्षद परिवार ने बगावत कर अपने परिवार से निर्दलीय कंचन राय को स्कूटर पर बिठाकर चुनाव लड़ा दिया। कांग्रेस ने साधना प्रजापति को टिकट दिया। त्रिकोणी संघर्ष की स्थिति यहां बनी ही नहीं जहां पर निर्दलीय स्कूटर भारी पड़ सकता है।

वार्ड क्रमांक 33 यहां पर पूर्व पार्षद बाबू यादव की पत्नी ममता यादव को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया भारतीय जनता पार्टी मैं यादव परिवार लगातार जीत हासिल करता आया है बीच में एक बार बाबू यादव परिवार को टिकट नहीं मिलने पर तेजा यादव जीत गए थे कांग्रेस ने फिर वही कार्ड खेला और इस बार तेजा यादव की पत्नी कोमल यादव को टिकट दीया ।प्रारंभ में यहां पर थोड़ा सा गौड़ परिवार के कारण तेजा का माहौल बना था। परंतु बाबू यादव के परिवार की और कार्यकर्ताओं की मेहनत खासकर यहां से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी ममता यादव की जीत लगभग तय है। आज इतना ही कल वार्ड क्रमांक 34 से 45 तक का सर्वे अंतिम भाग 4 कलयुग टाइम्स की खास खबर के साथ।

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