बिल्ली के भाग से छीका तो नही टूटा ,टूट गए अपने पार्षद, कौन बनेगा प्रतिपक्ष नेता
जिला पंचायत और जनपद में कांग्रेस भारी रही जिससे ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेसियों में जोश उत्साह है। तो शहर में दिन-रात कांग्रेस के लिए मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं में निराशा और अपनी ही पार्टी से गद्दारी करने वाले पार्षद के प्रति आक्रोश ।
कारण नगर निगम में सबसे दयनीय हालत रही कांग्रेस में 8 पार्षद जीतने के बाद जब छह पार्षद नगर निगम मैं सभापति के प्रत्याशी को वोट देते हैं और दो भाजपा को । आज तक के निगम के इतिहास में इतनी खराब हालत कांग्रेस की नहीं रही तीन बार कांग्रेस की परिषद बनी ,परंतु इस बार सबसे खराब प्रदर्शन रहा ।कांग्रेस को इस सभापति के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कीआपसी लड़ाई मैं क्रास मतदान की उम्मीद थी परंतु क्रास उनके ही मतदाता हो गए। अपने पार्षद को सम्भाल नहीं पाए कांग्रेसी उल्टा उम्मीद लगाए बैठे थे कि रवि जैन को टिकट मिलने के बाद राजेश यादव और उनका गुट इस बार क्रास वोटिंग निश्चित करेगा। पिछली बार जिस तरह क्रास वोटिंग के कारण निर्दलीय अंसार अहमद हाथी वाले बने थे उसी तरह इस बार कांग्रेस को भाग्य से जीतने की नहीं तो अच्छी पोजीशन की उम्मीद थी वह धरी रह गई। रवि जैन के लिए विधायक राजे ने पूरी ताकत लगा दी तो उनके विरोधियों ने भी समझौते में अपनी भूमिका निष्पक्ष इमानदारी से निभा दी । महाराज विक्रम सिंह पूरी तरह अपने पार्षदों को साथ निर्दलीय पार्षद को संभालने के साथ दो कांग्रेसी पार्षदों को तोड़ने में भी सफल रहे ।पिछला सभापति निर्दलीय बनाया तो इस बार सर्वाधिक मतों से जीतने वाला सभापति भी बनवा कर अपना लोहा मनवा लिया ।अब कांग्रेस में उन दो पार्षद तलाश की जा रही है जिन्होंने अपनी ही पार्टी केखिलाफ मतदान किया अब यह तो बहुत मुश्किल है पार्टी के प्यारे पार्षदों पर शक करना और गोपनीय वोट को साबित करना ना उनके फोन ट्रेस कर सकते हैं। ऐसे में बस अंदाज लगाकर अपने प्यारे ,पूजा योग्य पार्षदों को अगली बार बड़े पद देने से वंचित कर सकते है। टिकट काट सकते हैं अभी तो उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते उल्टा उनका सुधारा हो गया है अब उनके वार्ड में 5 वर्ष काम करवाने में उनको भी भाजपा का ही पार्षद मानकर कार्य किया जाएगा।
अबप्रतिपक्ष नेता जो कम पार्षदों के होने के बाद भी प्रतिपक्ष की भूमिका ईमानदारी से निभा सके और आम जनता की आवाज भी परिषद में उठाए । ऐसे में जब कांग्रेसमें महिला पार्षद ज्यादा है एक तो सभापति के लिए खड़े हो गए दूसरा दीपेश कानूनगो का नाम है बस दिक्कत यह है कि वह दिग्गी राजा गुट के हैं और देवास में भैया और मनोज राजानी की ही चलेगी । राजानी गुट से उनके खास समर्थक राहुल की माताजी पार्षद अहिल्या पवार के ज्यादा चांस है। वे दूसरी बार पार्षद बनी है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी जो लगातार एक दशक से ज्यादा समय से विपक्ष की भूमिका दमदारी से निभा रहे हैं वह नगर निगम में भी अपना खास नेता चाहेंगे उनके ही गुट से दूसरी बार ही फरजाना आबिद खान भी है । ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस देवास नगर निगम में मात खा गई है भाग्य के भरोसे कार्य नहीं होता अपने प्रत्याशी समर्थक को जिताने के लिए मैदान संभालना होता है खैर जो हो गया ठीक अब प्रतिपक्ष नेता का चयन ठीक हो और उन दो प्यारे पार्षदों को अपने हाल पर छोड़ अगला कदम बढ़ाए बरहाल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में चर्चा दो क्रॉस वोटिंग करने वाले के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। कांग्रेस जिस तरह से जिला पंचायत में दमदार से चुनाव लड़ी उसी तरह अगर हर जगह लड़ेगी तो निश्चित अच्छे परिणाम सामने आएंगे वरना बिल्ली के भाग से छींका टूटने की तरह इंतजार कर केवल भाग्य के भरोसे रहने पर यही सब हाथ लगेगा।
