मोदी फार्मूले से रितिका, ममता और पिंकी सभापति के लिए प्रबल दावेदार इधर रवि जैन, गणेश पटेल धर्मेंद्र बेस राजेश यादव ,मनीष सेन के नाम

नगर निगम महापौर पार्षद के चुनाव होने के बाद अब सबकी निगाहें सभापति पर है कौन बनेगा सभापति। यह सवाल अभी शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखते हैं भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को प्रमुख पद देने की बात कही जा रही है और राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू बनने के बाद यह माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अब अंतिम पद पर भी अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को मौका दे सकती है। तो माननीय मोदी फार्मूले के अनुसार और कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी की तरफ आया अनुसूचित जनजाति का वोट बैंक निर्णायक रहा है ।और अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने प्रमुख पद शहर में अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को नहीं दिया है। अगर इस बार भारतीय जनता पार्टी यह फार्मूला आजमाती है ।तो एक बड़ा वोट बैंक प्रभावित होगा और संदेश भी बहुत अच्छा जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी में नाम है रितिका विनय सांगते जो वार्ड क्रमांक 2 से अच्छे मतों से जीती है इसके पूर्व इनके पति विनय सांगते यहीं से पार्षद रहे हैं दूसरा ममता बाबू यादव जो लगातार इनके परिवार से ही वार्ड क्रमांक 33 में जीते हैं , तीसरा है वार्ड क्रमांक 4 से पिंकी दायमा पिछला चुनाव इनके पति संजय दायमा इसी वार्ड से जीते हैं तीनों ही दावेदार महिला होने के साथ कांग्रेस के वार्ड में अपना परचम लहरा चुके हैं अगर मोदी जी का फार्मूला देवास में चलता है संगठन अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को प्रमुख पद पर बिठाना चाहता है और दूसरा देवास के लिए संदेश भी अच्छा जाएगा जहां महिला विधायक महिला महापौर और महिला ही सभापति होगी ।

अब यदि मोदी फार्मूला नहीं चला तो देवास में पहले से ही महापौर के प्रबल दावेदार रवि जैन टिकट नहीं मिलने के बाद पार्षद का चुनाव ही इसलिए लड़े की सभापति बनना है। इनका महापौर में दावा मजबूत था अब सभापति की दावेदारी मजबूत है परंतु उनके विरोधी फिर सक्रिय हो गए हैं और संगठन से लेकर ऊपर तक यही संदेश पहुंचा रहे कि दोनों ही पद व्यापारी वर्ग को अगर मिल गए तो भारतीय जनता पार्टी तो वैसे ही ब्राह्मण बनिए की पार्टी के नाम से पूर्व में पहचानी जाती है। और देवास में विधायक महापौर और सभापति तीनों ही सामान्य वर्ग के हो जाएंगे ।पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति कार्ड ही इनके लिए नुकसानदायक है नहीं तो सबसे पहला नाम रवि जैन का ही है।

अब दूसरा नाम गणेश पटेल का है जो पैलेस के खास होने के साथ सहज सरल व्यक्तित्व है इनका इतना विरोध भी नहीं है खाती समाज के एक और पार्षद है और आगामी विधानसभा में सामने कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप चौधरी का दावा मजबूत है ऐसे में गणेश पटेल की दावेदारी भी मजबूत है जिनके साथ पार्षद भी बहुत ज्यादा आ सकते हैं ।

ऐसे ही इनके खास साथी महापौर के प्रबल दावेदार धर्मेंद्र सिंह बैस को टिकट नहीं मिलने के बाद वार्ड क्रमांक 40 दूसरे वार्ड से टिकट दिया और वहां पर बड़ी कशमकश के बाद धर्मेंद्र सिंह ने कांग्रेस की यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी। दूसरा जिले में ठाकुर समाज को भी कहीं भी प्रमुख स्थान नहीं मिला है जिला पंचायत से लेकर नगर निगम व अन्य जगह ठाकुर समाज उपेक्षित महसूस कर रहा है।

तीसरा राजेश यादव जो संगठन में मजबूत दावेदार के रूप में उभर कर सामने आए हैं हिंदूवादी नेता के साथ प्रदेश संगठन से भी राजेश यादव का नाम आ सकता है विपक्ष में भी राजेश यादव ने लगातार आंदोलन कर संगठन में नाम कमाया है बस इनके साथ नकारात्मक पॉइंट यह है कि इनके पास पहले से जिला महामंत्री का पद है दूसरा पार्षद का पद भी है तीसरा सभापति का पद भी इनको मिलता है तो विरोधी कैसे सहन कर सकते हैं ।

ऐसा ही अभी भारतीय जनता पार्टी में सबसे सीनियर वरिष्ठ पार्षद मनीष सेन जो लगातार चार बार चुनाव जीतकर प्रबल दावेदार है परंतु भारतीय जनता पार्टी के फार्मूले के अनुसार कहीं पूर्व पार्षद के तो टिकट ही काट दिए गए थे अब चार बार टिकट देने के बाद सभापति की दावेदारी उनकी मजबूत तो है परंतु यही माइनस पॉइंट भी है। विरोधी यही कह रहे हैं कि एक ही व्यक्ति को 4 बार टिकट भी तो दिया। हालांकि यह पहले कांग्रेस के गढ़ से जीतकर दूसरे वार्ड में चुनाव लड़े हैं। इस तरह भारतीय जनता पार्टी से जीत कर आए यह चेहरे सभापति के प्रबल दावेदार है।

अब बात करें की देवास विधायक राजे जो अपने समर्थक को महापौर का टिकट दिलाने के बाद इतिहासिक मतों से जिताने के बाद सभापति के लिए भी प्रयासरत है वही दूसरा भाजपा जिला अध्यक्ष राजू खंडेलवाल पहली बार संगठन में जिलाध्यक्ष को ज्यादा टिकट मिले हैं और जीत कर भी आए हैं खंडेलवाल अपने समर्थक को अध्यक्ष बनाना चाहेंगे। परंतु पैलेस के समर्थन के बिना अध्यक्ष की राह आसान नहीं पैलेस ने अपना पावर पिछले चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा कर दिखा दिया है इसके पहले लगातार दो बार सुभाष शर्मा को सभापति बनाया जबकि इसके पूर्व कांग्रेस के ही सभापति रहे हैं ।

कांग्रेस समय का इंतजार करेगी और मौका देख अपना प्रत्याशी खड़ा कर सकती है क्योंकि इस बार पार्षद की संख्या बहुत कम है। इस बार निर्दलीय संख्या की बहुत कम है मात्र छह पार्षद निर्दलीय जीत कर आए हैं ऐसे में निर्दलीय और कांग्रेस के चांस कम है ।भारतीय जनता पार्टी से ही सभापति बनने के चांस अधिक है। नगर निगम सभापति भाग्यशाली रहे हैं सबसे पहले सभापति स्वर्गीय रतन लाल चौधरी को विधानसभा का टिकट मिला और देवास में सबसे कम मतों से हारने वाले वही प्रत्याशी रहे हैं अब उनके पुत्र प्रदीप चौधरी मैदान में हैं और आगामी विधानसभा की तैयारी में दिन रात लगे हैं। दूसरे सभापति सुभाष शर्मा को भी महापौर का टिकट मिला और जीतकर महापौर बने। अब देखना है अगला भाग्यशाली सभापति कौन होगा ।

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