वफादारी, धैर्य का मिला फल अग्रवाल को, राजे ने टिकट दिलाने के साथ कमजोर प्रत्याशी को बना दिया सबसे मजबूत, कुशल प्रबंधन कड़ी मेहनत और जीत के जुनून ने दिला दी ऐतिहासिक जीत , विरोधियों को दी हर चाल पर शह और मात

एक साधे सब सधे और सब साधे सब जाय, जिसको सार्थक किया देवास की राजनीति में भाजपा के नेता दुर्गेश अग्रवाल ने ।अभी यह नाम आम जनता के सामने महापौर चुनाव में उभर कर आया है गीता दुर्गेश अग्रवाल की ऐतिहासिक जीत के बाद ।वैसे है नाम पुराना नहीं है राज परिवार से ढाई दशक से अधिक समय तक जुड़े दुर्गेश अग्रवाल पर देवास विधायक गायत्री राजे पवार और महाराज ने जब जोखिम के साथ दाव लगा दिया जब पूरे देवास में टिकट मिलने के बाद यह कहा जा रहा था कि यह सबसे ज्यादा वोटों से हारेंगे ।

और विरोध भी इतना ज्यादा था कि अगर कोई और विधायक या जनप्रतिनिधि होता तो दुर्गेश अग्रवाल का टिकट वापस हो जाता, वह इतना विरोध देखकर डर कर भी वापस ले लेते। लेकिन राज परिवार का आत्मविश्वास जिसे उस समय ज़िद कहां जा रहा था और यहां तक कहा जा रहा था कि इस बार सीट गई कांग्रेस के पाले में ।

अब सबसे पहले हम बात करते हैं दुर्गेश अग्रवाल की स्वर्गीय महाराज तुकोजीराव पवार के साथ जुड़े अग्रवाल एक छोटी सी किराने की दुकान आवास नगर में चलाते थे। तब महाराज से जुड़ने के साथ इन्होंने केवल महाराज गुट के अलावा किसी और से किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं किया तो कांग्रेस कार्यकाल में विरोध प्रदर्शन मैं भी आवास नगर में इनकी प्रमुख भूमिका रही। चक्का जाम से लेकर कई प्रमुख आंदोलन पूर्व क्षेत्र से होते रहे फिर वोटर लिस्ट से लेकर सारे जमीनी कार्य बिना दिखावे के अग्रवाल करते रहे ।

और अभी भी जब सब महाराज और राजे के सामने टिकट के लिए शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे तब वे धैर्य के साथ केवल समय का इंतजार कर रहे थे अब शक्ति के सामने अगर शक्ति प्रदर्शन उनके ही समर्थक कर रहे थे तो क्या राजे को यह नहीं मालूम कि इनकी हकीकत क्या है दुर्गेश के धैर्य और वफादारी का फल टिकट के रूप में मिला ।

तो उसके बाद पूरे शहर में यही लग रहा था कि गीता अग्रवाल के लिए मंजिल आसान नहीं परंतु राजे और महाराज जिनको अभी राजनीति में आए 7 वर्ष से ज्यादा नहीं हुआ। उनके सामने थी एक बड़ी चुनौती की टिकट तो दिला दिया अब जिताना भी है। फिर क्या दिन और रात क्या बारिश क्या गर्मी राजे और महाराज जब मैदान में पूरी तरह उतर गए तो उनके समर्थक स्वाभाविक है कितने दिल से जुड़े हैं कि वह भी स्वयं ही कार्य करने लग जाते हैं ।इसका छोटा सा उदाहरण अभी 1 वर्ष पूर्व मनोज चौधरी हाटपिपलिया विधानसभा में देखने को मिला है जहां भी राजे की भूमिका महत्वपूर्ण रही है इस बार मनोज को वह लाभ नहीं मिलेगा।

अब राजे का प्रबंधन देखिए सभी समाज सभी वर्ग की अलग-अलग बैठक के बाद उनसे सतत संपर्क दूरभाष पर या रूबरू उसके बाद आम जनता से जनसंपर्क । राजे ने तीन अलग-अलग भाग में चुनाव अभियान की रणनीति रखी पहले में स्वयं को रखा दूसरे में महाराज विक्रम सिंह पवार और तीसरे में दुर्गेश अग्रवाल और पूरी टीम। महापौर गीता अग्रवाल को सीधा आम जनता से जनसंपर्क के लिए स्वतंत्र किया। जीत के लिए राजे और महाराज का जुनून देखते ही बनता था जिस तरह राजा युद्ध क्षेत्र में लड़ाई लड़ने जा रहे हैं उसी तरह इन्होंने मैदान संभाल लिया और इनका जुनून कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाता रहा ।सीधा जनता से संपर्क गीता अग्रवाल के लिए लाभदायक रहा मीडिया मैं भी डिबेट व अन्य जगह से उन्होंने अपने आप को दूर रखा विरोधियों ने बहुत विरोध प्रचार किया लेकिन परवाह नहीं केवल आम जनता से सीधा संपर्क ऐतिहासिक जीत का कारण बना । आम जनता ने मैं सीधा एक संदेश था यह टिकट पैलेस का है शहर की जनता ने विकास को भाजपा को और वोट दिया।

शिक्षित और घरेलू महिला के मुद्दे पर विरोधियों ने खूब प्रचार किया उसका लाभ उल्टा पड़ गया गीता अग्रवाल की सरल छवि भी प्लस प्वाइंट रही पैलेस ने विरोधियों की हर चाल को उसी अंदाज में नाकाम किया । इस बार सबसे बड़ा नकारात्मक पॉइंट यह भी था कि बहुत से पार्षद के दावेदारों को टिकट नहीं मिलने के कारण वे निर्दलीय लड़ रहे थे यह राजनीति में सबसे ज्यादा नुकसानदायक रहता है परंतु पहली बार ऐसा हुआ की निर्दलीय नाराज तो थे बगावत की परंतु अपने स्वयं के लिए की। पार्टी का उन्होंने साथ दिया अपने लिए वोट मांगने के साथ भाजपा की दुर्गेश अग्रवाल के लिए भी वोट मांगे और कहीं पर नहीं मांगे तो विरोध भी नहीं किया कुछ ने विरोध किया तो वह स्वयं निपट गए निर्दलीय को इस बार जनता ने बहुत कम मौका दिया जहां बहुत कमजोर प्रत्याशी थे वहीं निर्णय लिया है ,परंतु वहां से महापौर के अच्छे वोट मिले। सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी और भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष राजू खंडेलवाल का घोषणा पत्र में फोटो नहीं देने का मुद्दा भी कांग्रेस ने उठाया परंतु वह मुद्दा भी ज्यादा नहीं चला । राजे द्वारा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूर्व मंत्री कैलाश विजय वर्गीय को लाने के साथ कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के सारे प्रयास किए मुख्यमंत्री की बैठक में देवास शहर के पैकिंग के प्लाट की समस्या का पूर्ण निदान का मुद्दा भी महत्वपूर्ण रहा। ऐसे कई मुद्दे भुनाने के साथ देवास विकास सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रहा। अब जबकि पूरे प्रदेश में देवास महापौर गीता अग्रवाल दूसरे नंबर पर सर्वाधिक वोट लाने वाली महापौर रही है जितनी भारतीय जनता पार्टी में महापौर की लीड है उतने मत कांग्रेस के प्रत्याशी को नहीं आए हैं यह कांग्रेस के लिए सोचने वाली बात है। जबकि कांग्रेस से बगावत कर शिवा चौधरी अपनी बहू मनीषा चौधरी को सम्मानजनक मत लाए हैं। इतना ही नहीं पार्षद में भी भारतीय जनता पार्टी के पहली बार 32 पार्षद एक साथ और कुछ निर्दलीय जो भाजपा समर्थित है अगर जोड़ ले तो भारतीय जनता पार्टी ने इस बार देवास में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं अब जहां भारतीय जनता पार्टी का अगला मिशन वह उसी दिन से शुरू कर देती है जिस दिन महापौर का चुनाव संपन्न होता है मिशन 2023 की तैयारी शुरू कर दी है तो कांग्रेसमें अब देवास से लड़ने के लिए हरदम तैयार रहने वाले दावेदार को एक बार सोचना चाहिए कि अभी तो महापौर के लिए ही इतने मत की लीड है तो अगली तैयारी विरोध में ऐसी हो कि सामना कर सके क्योंकि विधानसभा में ग्रामीण क्षेत्र और जुड़ जाएगा और मतदाता भी ज्यादा होंगे बरहाल राजे के कुशल प्रबंधन का लोहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर संगठन तक मान चुका है की कुछ तो बात है राज परिवार में।

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