कांपता पर्वत सिसकती नर्मदा अंधा विकास : ओम्कारेश्वर पर्वत
ओम्कारेश्वर पर्वत की रक्षा के लिए ज्ञापन, धरना और पदयात्रा
इंदौर. ओंकारेश्वर तीर्थ स्थान हिंदुओं की आस्था का एक बड़ा केंद्र है। नर्मदा की धारा के मध्य में स्थित ओंकार पर्वत साक्षात शिवस्वरूप है। सरकार द्वारा उस पर्वत पर शंकराचार्य जी की मूर्ति स्थापित करने के उद्देश्य से उस पर्वत के हजारों पेड़ों की कटाई हो रही है और उस पर्वत की तोडफ़ोड़ भी हो रही है। इसे बचाने हेतु विगत डेढ़ माह से भारत हितरक्षा अभियान द्वारा एक हस्ताक्षर अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसमें सरकार से मांग है कि वह इस प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार करें और पर्वत की तोडफ़ोड़ तुरंत बंद हो और शंकरचार्य जी की मूर्ति और संग्रहालय किसी अन्य स्थान पर बने। अभी तक लगभग एक लाख हस्ताक्षर जनता के द्वारा इस अभियान के समर्थन में हो चुके हैं।
मांग*
1. ओम्कारेश्वर मां नर्मदा, की गोद में बसा स्वयं प्रकट पर्वत है। जो शिव स्वरूप माना जाने के कारण पूरी दुनिया के लिए पूज्यनीय है। लोग इसकी पैदल परिक्रमा करते हैं। इसलिए इसके प्राकृतिक स्वरूप को तोडफ़ोड़कर खंडित न किया जाए।
2. पर्वत के नीचे पवित्र ज्योतिर्लिंग है तथा आदि शंकराचार्य महाराज के गुरु गोविंदपाद की तपोभूमि है। भगवान और गुरु से ऊपर पर्वत की चोटी पर शंकराचार्य महाराज की प्रतिमा स्थापित करना धर्म संगत नहीं है। अत: प्रतिमा को अन्य निरापद स्थान पर स्थापित किया जाए।
3. शास्त्रों के अनुसार सबसे पहले शब्द की ध्वनि ओमकार पर्वत से होने के कारण इसे ओम पर्वत बोलते हैं और वहां विराजमान शिव को ओम्कारेश्वर कहते हैं। इसी वजह से वह जगह हिंदुओं की आस्था का मुख्य के केंद्र है। इसलिए इसका स्वरूप बरकरार रखा जाए।
*आगामी योजनाएं*
10 मई मंगलवार सुबह 10 बजे रीगल पर एकत्रीकरण के बाद 11 बजे कमिश्नर को ज्ञापन
ज्ञापन के बाद तुरंत रीगल पर 3 दिन रात का निरंतर धरना
12 मई शाम 6 बजे धरना स्थल से ओम्कारेश्वर के लिए पदयात्रा
तीन मार्गों से ओम्कारेश्वर पहुंचेगी पदयात्रा
9 पड़ावों पर रुकते हुए जनजागरण करेंगे कार्यकर्ता
16 मई रात को पहुंचेंगे ओम्कारेश्वर
17 और 18 को ओम्कारेश्वर पर सत्याग्रह
जनता द्वारा लगभग एक लाख हस्ताक्षर करने के बाद अब अगले चरण की तैयारी
* अभियान की जानकारी संपर्क अभय जैन – 9981641219 स्वप्निल जोशी – 9425910939