अब सरकारी कर्मचारी विदेश जा सकेंगे , कर सकते हैं अपना व्यापार,शिवराज सरकार ला रही है फरलो स्कीम! सरकारी कर्मचारियों को मिलेगी ५ साल की छुट्टी, वेतन में ५० प्रतिशत की कटौती
कोरोना महामारी के बाद भारत समेत पूरी दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था नीचे गिरी है। मप्र सरकार के खजाने पर भी महामारी का गहरा असर पड़ा है। सरकारी खजाने पर तेजी से बढ़ते वेतन भत्तों का बोझ कम करने के लिए शिवराज सरकार फरलो स्कीम लाने पर विचार कर रही है। इस योजना के तह कुछ सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों को पांच साल तक के लिए खुद का बिजनेस या देश-विदेश में जाकर नौकरी करने की अनुमति देगा। साथ ही कर्मचारियों को आधी वेतन भी मिलता रहेगा। दरअसल यह स्कीम कांग्रेस सरकार के समय की है। साल २००२ में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस स्कीम को लेकर आए थे। अब शिवराज सरकार भी स्कीम को लागू करने पर विचार कर रही है। इस स्कीम को लागू करने के लिए वित्त विभाग ने इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसे जल्दी ही मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाएगा। इसे लागू करने का अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लेंगे। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि आर्थिक संकट से जूझ रही मप्र सरकार खर्च कम करने के लिए एक बार फिर १९ साल बाद कर्मचारियों के वेतन-भत्ते का बोझ कम करने के लिए फरलो (मध्य प्रदेश सिविल सेवा योजना २००२) स्कीम लाने जा रही है।
क्या होगा फायदा ?
मौजूदा वक्त में मध्य प्रदेश सरकार सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर करीब ६०००० करोड़ रुपए खर्च कर रही है. अगर फरलो स्कीम को अमल में लाया जाता है तो सरकार को करीब ७००० करोड़ रुपए तक की बचत हो सकती है. मौजूदा वक्त में मध्य प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति नाजुक है और सरकार पर करीब ढाई लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है. ऐसे में खर्चों में कटौती और बचत के रास्ते जनता पर बिना टैक्स का बोझ बढ़ाए लागू करना जरूरी हो गया है.
दिग्गी सरकार लाई थी पहली बार
हालांकि ऐसा नहीं है कि फरलो स्कीम पहली बार मध्य प्रदेश में लागू करने की बात की जा रही हो. इससे पहले साल २००२ में तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने इस स्कीम का फार्मूला लागू किया था. लेकिन, बाद में जब बीजेपी की सरकार आई तो फिर इस योजना को बंद कर दिया गया. लेकिन अब जबकि सरकार बचत के अलग-अलग रास्ते तलाश रही है तो इस योजना पर भी विचार किया जा रहा है.
क्या है फरलो स्कीम?
दरअसल यह फरलो स्कीम साल २००२ में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लेकर आए थे। इस स्कीम के तहत सरकारी अधिकारी-कर्मचारी ५ साल के लिए खुद का बिजनेस या देश-विदेश में किसी निजी कंपनी में अपने अनुसार नौकरी कर सकेंगे। इस अवधि के दौरान सरकार उन्हें आधा वेतन देगी। इस स्कीम का लाभ प्रदेश के करीब डेढ़ लाख सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलेगा। साथ ही सरकार का बोझ भी हल्का हो जाएगा। साथ ही सरकार के ऊपर से कर्मचारियों का केंद्र के समान (महंगाई भत्ता) देने का दबाव भी कम हो जाएगा। क्योंकि हाल ही में कर्मचारी ष्ठ्र व सातवें वेतनमान के इंक्रीमेंट को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं। इसको लेकर कई जगहों पर कर्मचारी पहले भी काम बंद करने की चेतावनी दे चुके हैं। वहीं सरकार के ऊपर से हर साल करीब वित्तीय भार सालाना ६ से ७ हजार करोड़ रुपए कम हो जाएगा। वर्तमान की बात करें तो प्रदेश सरकार हर साल वेतन भत्तों पर करीब ६० हजार करोड़ रुपए खर्च करती है। इस स्कीम के बाद सरकार को राहत मिलेगी। बता दें कि शिवराज सरकर पर पहले से ही ८ हजार करोड़ रुपए का कर्ज है।
