मप्र कांग्रेस में इसी महीने बड़े बदलाव के संकेत कमलनाथ को छोड़ना पड़ सकती है अध्यक्षी
(महेश दीक्षित)
भोपाल। कांग्रेस हाईकमान इसी महीने मध्यप्रदेश कांग्रेस में बड़ा बदलाव करने जा रही है। जिसमें मप्र कांग्रेस के लिए ‘मिस्टर बंटाढार’ बने कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है।
दिल्ली स्थित कांग्रेस के सूत्रों से खबर मिली है कि, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) चीफ सोनिया गांधी ने मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष पद से कमलनाथ को हटाने का निश्चय कर लिया है। तथा इसी महीने के आखिरी हफ्ते में कभी भी मप्र कांग्रेस के नये अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जा सकता है।
क्यों हटाया जा रहा है नाथ को
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार कमलनाथ को इसलिए भी हटाया जा रहा है, क्योंकि इन दिनों मध्यप्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह से कमलनाथ के आसपास सिमटकर रह गई है । कमलनाथ एक तरफ जहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, तो दूसरी तरफ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वे प्रदेश कांग्रेस पर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। जिससे कांग्रेस हाईकमान को लगता है कि, मप्र में कांग्रेस को विस्तारित और ताकतवर बनाने के बजाय कमलनाथ, हमेशा के लिए कांग्रेस को हाईजैक रखने की मानसिकता से काम कर रहे हैं। उनके खिलाफ हाईकमान के समकक्ष ऐसी शिकायतें पहुंची हैं कि, वे प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस को मजबूत विपक्ष के तौर पर खड़ा करने के बजाय सरकार से सांठगांठ कर कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डाल रहे हैं। उनका यह रवैया भविष्य में कांग्रेस के वजूद के लिए खतरे की घंटी है।
कद्दावर नेताओं को दरकिनार किया
कमलनाथ के अहंकारी और उपेक्षा पूर्ण रवैये के चलते ही महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। इसके अलावा दिग्विजय सिंह, अरूण यादव, अजय सिंह, डा. गोविन्द सिंह और मानक अग्रवाल सरीखे कई कद्दावर और प्रभावशाली नेताओं को कमलनाथ पिछले तीन साल से घर बैठाए हुए हैं। उन्होंने इन नेताओं को न कोई जिम्मेदारी दी और न पार्टी हित में इनके अनुभवों का कोई उपयोग किया।
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जमीनी स्तर पर पूरी तरह निष्क्रिय
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि, कमलनाथ जमीनी स्तर पर पूर्णतः निष्क्रिय हैं।
उनके पास दस निजी विमान हैं। उन्होंने चुनाव के दौरान भले ही जिलों के दौरे किए हों, लेकिन संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की दृष्टि से पिछले तीन सालों में उन्होंने छिंदवाड़ा को छोड़ दें, तो जिलों का एक भी दौरा नहीं किया। उनके पीसीसी चीफ रहते अब तक प्रदेश में एन.एस.यू.आई., महिला कांग्रेस और युवा कांग्रेस का कोई एक बड़ा आयोजन और सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं हो सका है। प्रदेश तो छोड़िए वे पिछले तीन सालों से प्रदेशाध्यक्ष हैं, लेकिन पीसीसी दफ्तर तीन बार ही गए हैं।
कार्यकर्ताओं से परहेज
कांग्रेस के नेता कहते हैं कि कमलनाथ फाइव स्टार नेता हैं। वे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से नहीं मिलते हैं। उनसे पहले प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव थे। छोटे से छोटा कार्यकर्ता उनसे कभी भी मिल सकता था। उनका हाथ पकड़कर काम करा सकता था। अब तो हाथ पकड़ना छोड़ो, बात तक नहीं कर सकते। जनता भाजपा सरकार से परेशान है। लेकिन कमलनाथ के रवैये के कारण कांग्रेस विकल्प बनकर नहीं उभर पा रही है।एआईआईसी ने दिए मप्र कांग्रेस में इसी महीने बड़े बदलाव के संकेत दिये है।
