मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में सरकार लोगों के साथ कर रही है जालसाजी । कांग्रेस

                    

देवास = कोरोना संक्रमण के दौरान हुई मौत एवं मौत के बाद जारी होने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर सरकार लोगों के साथ जालसाजी कर रही है। ऐसा नहीं है कि लोग एक लाख रुपये के लालच में ही  मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हॉस्पिटलों के चक्कर लगा रहे हैं। इससे अधिक राशि तो वह अपने परिजन के इलाज पर खर्च कर चुके हैं। उन्हें कोरोनावायरस  से मौत लिखे हुए प्रमाण पत्र इसलिए  चाहिए कि किसी को अनुकंपा नियुक्ति में वह पत्र देना है तो किसी को बीमा की राशि के लिए क्लेम करना है । दूसरे और  काम है लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार की आंख पर एक ही चश्मा लगा हुआ है कि लोग एक लाख रुपये के लालच में मृत्यु प्रमाण पत्र मांग रहे हैं। शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया  शहर में अनेक परिजन हॉस्पिटलों  में कोरोना से हुई मौत  के प्रमाण पत्र को लेकर चक्कर लगा रहे हैं जिनकी हॉस्पिटल वाले कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं । विगत दिनों कुछ लोगों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर से भी इसकी शिकायत की है इसी दौरान लोगों की परेशानी के बीच ही मध्य प्रदेश सरकार के सांख्यिकी विभाग के रजिस्ट्रार का एक आदेश चर्चा में बना हुआ है  जिसमें लिखा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण नहीं लिखा जाएगा इसका कारण उन्होंने यह बताया है कि मौत का कारण डॉक्टर बता सकता है इसलिए विभाग कारण नहीं लिख सकता अगर ऐसा है तो फिर कोरोना से मारे गए लोगों का क्या होगा ? प्रमाण पत्र नहीं बन पाएंगे तो इसके साथ कई समस्याएं उत्पन्न होगी । सरकार ने कई घोषणा कोरोनावायरस से हुई मृत्यु को लेकर की है लेकिन उसका लाभ वास्तविक हितग्राहियों कैसे पहुंचेगा यह बात साफ नहीं होगी जब तक मृत्यु का कारण कोरोना नही लिखा होगा वह साधरण  मृत्यु ही मानी जाएगी। हजारों परिवार  ऐसे है कि उनके परिजन की मृत्यु कैसे हुई है,  दाह संस्कार कैसे हुआ है यह वही जानते हैं उनके पास अपने परिजन की मौत का प्रमाण तो है लेकिन शमशान घाट का पत्र नही है। अनेक व्यक्तियो की घर में ही मृत्यु हो  गई हॉस्पिटल  पहुंचे ही नहीं, कई यो की हॉस्पिटलके बाहर ही मृत्यु हो गई, ऐसे में उनका मौत का प्रमाण पत्र कौन देगा इस पर भी अगर विभाग मौत का कारण लिखने से इंकार कर देगा तो उन पीड़ितों और उनके लिए जो घोषणा हुई है उसके क्या मतलब है?  कहा जा रहा है कि वैसे तो आपदा प्रबंधन कोष से भी प्रत्येक मृतक को चार लाख रुपये देने का प्रावधान है कांग्रेस ने मांग की है कि कोरोना संक्रमण के दौरान हुई मौत के प्रमाण पत्र पीड़ितों को शीघ्र दिए जाएं जिन पर कोरोना संक्रमण से हुई मृत्यु लिखा जाए वही ऐसे लोग हैं जिनके परिजनों की मृत्यु घर पर हुई है या अस्पताल के बाहर हुई है उनकी भी जांच कर उन्हें भी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाएं आपदा की इस घड़ी में सरकार उनके हितों में सिर्फ घोषणा ही नहीं करें बल्कि मूर्त रूप से काम भी करे । उनके साथ न्याय करे ।

*शासकीय कर्मचारियो के साथ धोखा* ?  बड़े अधिकारी  कोई भी योजना बनाते हैं तो प्रथम दृष्टया बड़ी लोकलुभावन लगती है  लेकिन  जब उसका क्रियान्वयन होता है तो  उसके मायने कुछ और निकलते हैं  ऐसा ही शासकीय कर्मचारी को कोरोना से मृत्यु होने पर पाँच लाख रुपए की राशि शासन के द्वारा  परिवार को दी जाएगी ऐसी घोषणा कर दी गई  लेकिन शासन द्वारा जारी आदेश में शासकीय कर्मचारी को दिए जाने वाले उपादान (ग्रेज्युटी) की राशि पाँच  लाख  से कम होती है तो उसे मैं बची

हुई राशि मिलाकर पाँच लाख रुपए दिए जाएगे । वही जिसकी ग्रेजुएट पाँच लाख  से ज्यादा बन गई है तो उसे  इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा । कुल मिलाकर झूठा प्रलोभन देने वाली बात है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है की कर्मचारी की कोरोना से मृत्यु होने पर यह राशि अलग से दी जाए ।

You may have missed