चिट्ठी ना कोई संदेश जाने कौन सा देश जहां तुम चले गए

ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना देवास में एक नाम भावेश पुराणिक जो की किसी क्षेत्र में कहीं भी चले जाओ पहचान की मोहताज नहीं था ।क्योंकि वह शुरू से ही सेवा क्षेत्र के साथ मिलनसार और मस्तमौला व्यक्तित्व जो था ।अपने व्यवहार से सबका दिल जीत लेता था सबको ऐसा लगता था कि अपना घर का ही परिवार का ही पिंटू एक सदस्य है सबसे पहले पिंटू से दोस्ती जब हम कभी सभी देवास आते थे तो मम्मी के काका के सरकारी निवास सिविल लाइन में 10 वर्ष की उम्र में मिला जब मामा कम दोस्त पवन जोशी के साथ में उनके घर पर ही रुक जाता था उसके बाद फिर इंदौर और इसे संयोग ही कहेंगे की एक 2 वर्ष बाद फिर उसी निवास के सामने नाना जी को सरकारी क्वार्टर मिला और वहां पर फिर पिंटू से और पूरे परिवार से एक ऐसा रिश्ता बन गया कि परिवार बन गया कभी इंदौर कभी गांव में और कभी मामा के यहां खासकर सिविल लाइन उस समय सिविल लाइन अलग थी घर के सामने पेड़ पीछे जाम और आम का बगीचा चारों तरफ हरियाली उसके बीच बने एक लाइन में सरकारी आवास मैं हमारा इतना बड़ा ग्रुप कम से कम 30 लड़के जब चाहे जब एक साथ एक समय मिल जाते हैं एक कैंपस मैं मैं सात घर परिवार की तरह है तो आसपास के बाल विहार स्कूल से लेकर अधिकारी निवास तक सभी एक दूसरे से परिचित और परिवार से एक दूसरे की खेल खबर रखने वाले अभी कैंपस में छोटा सा मैदान जिसमें कैची साइकिल चलाने से लेकर कंचे भंवरी गुल्ली डंडे गुलाम डंडी से लेकर क्रिकेट तक वहीं पर चलते थे। फिर बड़े होने पर आसपास की कॉलोनी कटने वाली जगह पर पीच बनाकर क्रिकेट खेलना होली भी यही दशेरा दहन पर पहले रावण बनाना 8 दिन पहले से तैयारी फिर चंदा करने जाना और हर घर के लोग से रूबरू होना जान पहचान हो ना और फिर रावण दहन होलिका दहन और दिवाली सार्वजनिक मनाना यहां तक गर्मी में बाहर सभी एक साथ सोना देर रात तक ताश पत्ते सार्वजनिक परिवार के साथ किस्से कहानी और रात को कमलेश का पलंग उठाकर सड़क पर रखा आना। लड़ना झगड़ना पर फिर एक हो जाना पता ही नहीं चला छोटे थे जब भी क्रिकेट टीम के बाद बढ़ते बढ़ते सिविल लाइन में सबसे बड़े गणेश जी की स्थापना कर सभी उत्सव खासकर होली पर हुड़दंग के रिकॉर्ड आसपास के कॉलोनी के सभी लोग जानते थे की यह युवा टीम कुछ अलग है सेवा क्षेत्र में सबसे आगे नाना जी के बाद मामा कृष्णकांत जोशी जी को वही क्वार्टर मिल गया तो और पिंटू का साथ मिला इसके बात पिंटू और हम कुछ साल के लिए दूर हो गए पिंटू अचानक 5 वर्ष बाद फिर मिला मैं पत्रकारिता क्षेत्र में आ गया था पिंटू को भी साथ में सबसे पहले एस आर चैनल और फिर प्रिंट मीडिया में साथ में ही रखा हम साथ में प्रॉपर्टी ब्रोकर का कार्य भी करते थे कई बार मतभेद हो गए परंतु फिर दोस्ती बीच में पिंटू ने पत्रकारिता छोड़ दी केवल प्रॉपर्टी का व्यवसाय करने लगा परंतु उसके बाद भी वह रोज चामुंडा कांप्लेक्स पर मिल ही जाता था और कभी सभी प्रॉपर्टी के कुछ सोदे भी हो जाते थे परंतु उससे ज्यादा हमारी दोस्ती पुरानी बातें बचपन की यादें और हंसी मजाक में कब वक्त गुजर जाता है पता ही नहीं चलता चामुंडा कंपलेक्स पर रोज 4:00 बजे का समय तो ऐसा था जब पुराने दोस्त उमेश जोशी मनोज भावसार शिवेंद्र सिंह पवार बंटी डॉ मुकेश चौहान पंकज वर्मा भरत सुनील सोनी देवेंद्र गुर्जर कमलेश चंदेल और भी दोस्त जिनको मिलना था वह आ ही जाते थे उमेश जोशी ने सबसे अच्छा नियम बनाया था कि रोज 4:00 बजे चामुंडा कांप्लेक्स पर मिलना ही है भले ही दो दोस्त रहे इसके कारण आपस में सब की तबीयत भी पता चल जाती हो और रोज दिल भी हल्का हो जाता है कि सब आपस में पुरानी बातें और हंसी मजाक कर घर लौटते है । अब बातें समाज सेवा की तो किसी की भी मदद की बात आती तो पिंटू कहता कि मेरा नाम जरूर लिख लेना जो भी सहयोग और करूंगा पिंटू के साथ हमारे साथी सुभाष कहार जी का भी सहयोग हमेशा रहता है खासकर 31 दिसंबर की शाम गरीबों के नाम भंडारे में तो वह 2 दिन पहले ही पूछ लेता कि इस बार क्या करना है जबकि बहुत कम लोग इसकी चिंता करते कई बार तो 1 दिन पहले ही सब तैयारी करना पड़ती है परंतु पिंटू हमेशा पूछता था और पूरे भंडारे में समापन तक साथ रहता था पिंटू और हमारे पत्रकार साथी बाबा साहब हिमांशु राठौर जिनका भी स्वर्गवास हो गया है वह 31 दिसंबर के आयोजन में चाहे कहीं भी हो पूरा सहयोग करते और पूरे समय साथ रहते थे इस बार तो बाबा साहब नहीं थे लेकिन पिंटू और हमारे साथियों ने गरीब बस्तियों में जाकर भोजन और मिठाई वितरित की जन्मदिन किसी का भी हो पत्रकार साथी का यह हमारे किसी दोस्त का पिंटू हमेशा मेरे साथ मौजूद रहता था पिंटू के अचानक चले जाने पर मुझे इंदौर से भी परिवार के पवन जोशी मनोज तिवारी के फोन आए और बहुत दुखी मन से बात की क्योंकि पिंटू पूरे परिवार से जुड़ा था घर में भी सभी दुखी थे हम भी पिंटू के परिवार में उनके मम्मी पापा भाई रितु ल पुराणिक बबलू बहन पिंकी और बुलबुल से ही नहीं उनके काका परिवार यहां तक कि भोरासा के पास बुधासा तक जुड़े थे। चामुंडा कंपलेक्स पर ही आइसक्रीम दुकान के पास दिलीप सिंह चौहान दरबार सुमेर सिंह दरबार सुभाष कहार राजा पडियार मनीष जैन पवन श्रीवास्तव मनोज पवार और साथियों का ग्रुप साथ में पिंटू खड़ा रहता है और कई बार तो वहीं से राम-राम हो जाती थी । प्रॉपर्टी में भी बहुत कम अच्छे साथी मिलते हैं पिंटू को एक ईमानदार मेहनती और व्यवहारिक सुभाष कहार जैसा साथी मिलने के बाद प्रापर्टी में भी अच्छा नाम हो गया था और बहुत कुछ आगे निकल गए थे इधर पत्रकारों में प्रदीप ठाकुर राम मीणा कमल अहिरवार राजपाल सिंह के साथ कभी सभी पार्टी हो ही जाती थी और यहां नहीं मिले तो तो प्रॉपर्टी ब्रोकर संजय शर्मा के यहां मिल ही जाते थे ।और भी नहीं तो छोटा भाई अभिषेक जोशी के पास मिल जाता था यानी कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब पिंटू कहीं ना कहीं गई मिल मिल ना जाता हो । अब बस यादें ही रह गई है ऐसी यादें एक दोस्त की बचपन से 55 तक के पहले ही बीच मझधार में चला गया ।प्यारे दोस्त को एक श्रद्धांजलि।
और इतना ही की ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना तुम्हारा प्यारा दोस्त ।