अब ब्लैक फंगस की दवा का टोटा—– एंटी फंगस लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन नहीं, मरीजों के परिजन हो रहे परेशान शासन ने की एडवाजरी जारी , क्या है बीमारी के लक्षण और कैसे बचे

भोपाल।हमीदिया अस्पताल के ईएनटी विभाग के नए वार्ड में 30 बेड में से 20 पर मरीज भर्ती है हमीदिया अस्पताल में भर्ती 25 ब्लैक फंगस के मरीज इसमें 17 कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस से पीड़ितकोरोना संक्रमण के साथ अब ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले ने चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं। भोपाल के पालीवाल अस्पताल,एल बी एस के अलावा बंसल, चिरायु सहित अन्य अस्पतालो में ब्लैक फंगस के मरीज तेजी से सामने आ रहे है । इस बीच इस बीमारी की दवा का भी टोटा शुरू हो गया है। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती मरीजों के एंटी फंगस लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी या सिर्फ एम्फोटेरिसिन-बी दोनों ही इंजेक्शन 10 दिनों से उपलब्ध नहीं है। निजी अस्पतालों में भी डॉक्टर यह दवाई लिख रहे परन्तु बाजार से यह इंजेक्शन नही होने से परिजन बेहद परेशान हो रहे है । जबकि पिछले दिनों इंजेक्शन के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक सप्लाई नहीं हो पाया है। अभी डॉक्टर मरीजों को फ्लुकोनाॅजोल टैबलेट देकर इलाज कर रहे हैं। मामले में हमीदिया के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. यशवीर ने बताया की इंजेक्शन की सप्लाई के लिए डिमांड भेजी गई है। अभी पर्चेस प्रक्रिया की जा रही है। जानकारों का कहना है कि फ्लुकोनाॅजोल टैबलेट भी फंगस को बढ़ने से रोकती है, लेकिन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की तुलना में टैबलेट का असर कम है। जानकारों का कहना है कि बीमारी के मरीज साल भर में एक-दो ही आते हैं, जिनकी संख्या अब अचानक से बढ़ गई। दवा कंपनियां खपत कम होने से दवा का कम उत्पादन करती है। इसलिए दवा को लेकर दिक्कत हो रही है। हालांकि वह दवा की कालाबाजारी से भी इंकार नहीं कर रहे। परिजन संपर्क से ला रहे इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी और प्लेन एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन मरीज के परिजन अपने संपर्क से इंजेक्शन लेकर आ रहे हैं। इस बारे में पूछने पर मरीज के परिजन अपना सोर्स नहीं बता रहे, सिर्फ मुंबई, इंदौर ग्वालियर जैसे शहरों से इंजेक्शन मंगाने की बात कह रहे हैं। बता दें, शुक्रवार को हमीदिया अस्पताल के ईएनटी विभाग में बने 30 बेड के नए वार्ड और कोविड वार्ड में कुल 25 मरीज भर्ती हैं। एक ब्लैक फंगस से पीड़ित कोविड संक्रमित मरीज की मौत हो गई। 5 वॉयल लगती हैं एक दिन में डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज को एक दिन में लाइपोसोमल एम्फोटरेसिन-बी की 50 एमजी की पांच वाॅयल एक व्यवस्क को एक दिन में लगती है। यह दवा मरीज को दो से तीन सप्ताह तक दी जाती है। इसकी कीमत कंपनी के अनुसार अलग-अलग 4 से 7 हजार रुपए की रेंज में आता है। लाइपोसोमल एम्फोटरेसिन-बी इंजेक्शन की सिर्फ एम्फोटरेसिन-बी इंजेक्शन की तुलना में साइड इफेक्ट कम है और फंगस को मारने की क्षमता ज्यादा है। हमीदिया के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. यशवीर ने बताया कि शुक्रवार को नॉन कोविड वार्ड में दो ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों को भर्ती किया गया है। कोरोना मरीजों को इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया जाता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे मरीजों पर ब्लैक फंगस की चपेट में आ जाते हैं। *राज्य शासन ने ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) पर जारी की एडवाइजरी* राज्य के विभिन्न अस्पतालों में ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) प्रकरणों से ग्रसित मरीज के प्रकरण आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने पीड़ित मरीजों के उपचार हेतु राज्य के तकनीकी समिति के विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित स्टैन्डर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकाॅल राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी किया है। राज्य में ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) का इलाज सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में किया जाएगा। *ब्लैक फंगस की सामान्य जानकारी व उससे बचने के उपाय* ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अन्दर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे जिससे गम्भीर बीमारी हो सकती है। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है। *यह बीमारी किसे हो सकती है* – यह बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को, स्टेरोईड दवाईयां ले रहे व्यक्ति को या आई.सी.यू. में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। यदि निम्नानुसार लक्षण दिखे तो चिकित्सक से तुरंत सम्पर्क करना चाहिए। *बीमारी के लक्षण* – आंख/नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक/तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना। *कैसे बचा जा सकता है* – धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर।

You may have missed