श्मशान घाट में बारिश के पहले ही जिला प्रशासन हो सतर्क नहीं तो बिगड़ सकती है व्यवस्था

सरकार और प्रशासन की आदत हो गई है कि आग लगने पर ही कुआं खोद रहे हैं ऑक्सीजन सिलेंडर किसका उदाहरण है। अभी देवास में सबसे ज्यादा जीते जी ऑक्सीजन इंजेक्शन की समस्या आ रही है तो मौत के बाद दाह संस्कार की। श्मशान घाट में भी लाइन लगाना पड़ रही है नंबर लगाना पढ़ने के दाह संस्कार के लिए और ऐसे में कई बार बिन मौसम बारिश हो जाती है तो और हालत बद से बदतर हो जाते हैं ।अब बारिश का मौसम आने वाला है, समय रहते मुक्ति धाम में नए सिरे से शेड व लकड़ियों की व्यवस्था होना भी अतिआवश्यक हैं। कहीं ऐसा न हो कि अतिवर्षा में शोकव्यक्त करने के हॉल की कुर्सियां उखाड़ फेंक कर वहाँ अंतिम संस्कार करना पड़ जाय। मुक्ति धाम की स्थिति भयावह हैं, अभी तक तो नगर निगम के कर्मठ सेवा कर्मचारियों ने मोर्चा संभाला है, आखिर सीमित संसाधनों में कार्य करते उनकी भी हिम्मत प्रशंसा करने योग्य हैं। इसके साथ समाज सेवी संस्था भी सामने आई है जो असहाय और गरीब परिवार को दाह संस्कार में मदद कर रही है। लकड़ी कंडे की समस्या बढ़ गई है। वह तो भला हो ग्रामीण क्षेत्र के लोग गांव से लकड़ी ला ला कर दे रहे हैं। अब जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि को चाहिए कि एक बार देवास श्मशान घाट मुक्तिधाम आने वाली समस्या पर भी ध्यान दें अभी तो फिलहाल जो श्रद्धांजलि सभा के शेड बने हैं वहां से कुर्सियां हटाकर व्यवस्था की जा सकती है क्योंकि यह शेड अच्छे बड़े बने हैं अभी जब जमीन पर रखकर लाशों का दाह संस्कार किया जा रहा है तब बारिश में यह श्रद्धांजलि सभा स्थल काम आ सकते हैं नहीं तो गुस्से में जनता कुर्सियां हटा सकती है इसके पहले ही जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि यहां की व्यवस्था भी देखें। मंत्रीजी जैसे हॉस्पिटल निरीक्षण पर जाती हैं वैसे ही उन्हें मुक्ति धाम भी जाना चाहिए, कर्मचारियों की समस्या समझना चाहिये।

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