देवास का परंपरागत मीना बाजार को लेकर निगम निगम और जिला प्रशासन जनप्रतिनिधि क्यों नहीं कर पा रहे सही जगह तलाश

यहां की नगरी कहां बसी, कभी यहां तो कभी वहां और अब अपना अस्तित्व तलाश रहा देवास का प्राचीन संस्कृति परंपरा वाला मीना बाजार। सबसे पहले हम मीना बाजार की बात करें तो इसे शासकीय नाम नगर निगम ने दशहरा, कृषिकला एवं औद्योगिक प्रदर्शनी रखा है। लेकिन आज भी आम जनता के बीच जब भी यह प्रदर्शनी लगती है तो उसे मीना बाजार ही कहा जाता है और जनता जाती भी इसी नाम से है। सबसे अच्छा मीना बाजार भोपाल चौराहा स्थित शिवाजी उद्यान में रियासत काल से लगता था। दूर दराज से ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली जनता मां चामुंडा टेकरी पर नवरात्रि में दर्शन कर मीना बाजार जरूर जाती थी तो नवरात्रि के बाद पूरे शहर की जनता एक बार मीना बाजार जाकर खरीदी के साथ स्वस्थ मनोरंजन भी करती थी। भोपाल चौराहे पर शिवाजी उद्यान में इसका स्वरूप इतना अच्छा था कि लोगों को यहां तक की बच्चों से बड़ों तक को पूरा दुकान से लेकर झूले तक का खाका दिमाग में बैठ गया था कि कहां पर कौन सी दुकान लगा है और कहां से घूमते हुए वापस बगीचे में पहुंच जाना है फिर बगीचे में पहुंचकर मूंगफली से लेकर खाने की सामग्री लेकर गपशप करना है और बीच-बीच में हाल पर नगर निगम द्वारा आयोजित कार्यक्रम का भी मजा लेना है। नगर निगम भी तब बहुत ही व्यवस्थित तरीके से इसे संचालित करता था। और यहां पर होने वाले सांस्कृतिक से लेकर अन्य आयोजन शहर में चर्चा का विषय रहते थे कहीं बड़े कलाकार यहां पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चले गए। मेले में वह दुर्लभ चीज भी मिल जाती थी जो आसानी से दुकानों पर नहीं मिलती यही कारण था कि दूर-दूर से मीना बाजार में लोग यह सोचकर भी आते थे की छोटी-मोटी चीज जो बाजार में नहीं मिलती वह यहां सरल तरीके से सस्ते भाव में मिल जाएगी। बड़ा व्यवस्थित मीना बाजार था यह एक तरफ से भोपाल चौराहे से निकले और राउंड लगाते हुए सीधे बगीचे में और फिर झूले से लेकर आसानी से बाहर भी निकल जाते थे। चाहे कितनी भीड़ हो सब कंट्रोल हो जाती थी सारे नेता से लेकर व्यापारी समाजसेवी और अधिकारी तक यहां पर मिल जाते थे । इस मीना बाजार की और रोनाक ही ऐसी थी कि बच्चों तो इंतजार करते थे कि कब मीना बाजार लगेगा। लेकिन एक दिन रोपवे की देवास को सौगात मिली तो मीना बाजार वहां से उखड़ गया। रोपवे ठेके से चला गया ।तो मीना बाजार विकास नगर चौराहे पर आईटीआई ग्राउंड में आ गया यहां पर दुकान तो वही थी झूले भी थे लेकिन वह बात नहीं उल्टा ट्रैफिक जाम और खिलाड़ियों के लिए बने खेल मैदान को अलग खराब कर जाते थे । क्योंकि अब यह परंपरा का मीना बाजार नहीं व्यापार का मीना बाजार लगने लग गया है हमारी संस्कृति और परंपरा से ज्यादा व्यापार और केवल औपचारिकता का मीना बाजार फिर उतना रोचक नहीं रहा केवल स्वस्थ मनोरंजन का साधन मात्र बनकर रह गया। अब फिर आईटीआई ग्राउंड पर हॉस्टल बनने से देवास के नगर निगम के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है कि मीना बाजार कहां लगे जगह है बहुत है लेकिन साफ सुथरी जगह और जहां पूरे शहर की जनता आ सके ऐसे बड़े ग्राउंड पर इसे लगाना चाहिए। और खास करना चामुंडा टेकरी के आसपास। देवास में हमारे परंपरा और संस्कृति धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है कई मुद्दे हैं जिन पर हम बाद में बात करेंगे अभी मीना बाजार की बात चल रही तो हाट संस्कृति भी खत्म हो रही है सबसे पहले देवास का सोमवार का हाट बंद हुआ तो फिर सबसे बड़ा शुक्रवार का हाट भी अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। शुक्रवारिया हाट के पीछे तो सबसे बड़ा कारण की सरकार की इस हाट की जमीन को नगर निगम ने मार्केट बनाकर बेच दिया। सबसे ज्यादा जगह पर बड़े मार्केट बने हैं । ऐसे में दूर-दूर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले छोटे व्यापारी अब जमीन पर बैठकर धंधा अच्छे ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। हाट बाजार और मेले मैं अक्सर छोटे व्यापारी जो कभी इस शहर में कभी उसे शहर में तो कभी इस गांव में छोटी सी अपनी दुकान लगाकर अपने रोजी-रोटी चलते हैं और कहीं ऐसी वस्तुएं भी लेकर आते हैं जो शहर में आसानी से नहीं मिलती वह मिले और हाट बाजार में आसानी से मिल जाती है । हमारी परंपरा संस्कृति और स्वस्थ मनोरंजन का मीना बाजार अब धीरे-धीरे रौनक हो रहा है अभी तो शासन प्रशासन के सामने इसे कहां पर लगे यह समस्या है। यह निराकरण तो बहुत जल्द हो जाएगा या हो सकता है वह कर लिया हो शासन ने लेकिन अब यह व्यवस्थित लगे और पुराना इसका अस्तित्व लौटे इस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जिला प्रशासन नगर निगम महापौर सभापति और सत्ता पक्ष नेता से लेकर विधायक जनप्रतिनिधि ने भी इसमें रुचि लेना चाहिए। खासकर यह भ्रष्टाचार की भेट ना चढ़े। दुकानदार को दुकान आसानी से मिले और आमजन को धक्का मुक्की से मुक्त बड़ी जगह स्वस्थ मनोरंजन। नगर निगम जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस बात का विशेष ध्यान रखें की जहां भी लगे व्यवस्थित लगे क्योंकि एक बार जहां पर लग गया अब बार-बार नहीं हटे।

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