भरत मुनि सांस्कृतिक मूल्यों के प्रवर्तक – अमित राव पवार

देवास संस्कार भारती देवास द्वारा नाट्यशास्त्र के प्रणेता भरत मुनि स्मृति दिवस पर सांस्कृतिक संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत भरत मुनि, मां सरस्वती का पूजन दीप प्रज्वलन से हुआ, गुरु वंदना स्तुति कथक नृत्य भाविका जोशी ने प्रस्तुत किया। संयोजक नृत्य गुरु प्रफुल्ल सिंह गहलोत ने आचार्य भरत मुनि का परिचय दिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता इतिहासकार चिंतक श्री अमितराव पवार ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में बताया कि भरत मुनि रचित नाट्य शास्त्र भारतीय नाट्य और काव्यशास्त्र का आदि ग्रंथ है, इसमें नाट्यशास्त्र, संगीत शास्त्र, छंद शास्त्र, अलंकार, रस आदि सभी का सांगोपांग प्रतिपादन किया गया है। भरत मुनि रचित प्रथम नाटक का अभिनय जिसका कथानक “देवासुर संग्राम” था जो देवों की विजय के बाद इंद्र की सभा में हुआ था। ब्रह्मा जी की प्रेरणा से भरत मुनि ने पांचवे वेद का निर्माण किया जिसमें ऋग्वेद में से पाठ्यवस्तु, सामवेद में से गान, यजुर्वेद में से अभिनय और अथर्ववेद में से रस लेकर नाट्य वेद की रचना की गई। वर्तमान में उपलब्ध नाट्यशास्त्र में 36 अध्याय तथा 6000 श्लोक हैं। चौथे अध्याय का संबंध नृत्य शिक्षा से है, जिसमें 108 मुद्राओं का अभ्यास का उल्लेख है, जिन्हें “करण” कहा गया है, कारणों के संयोग से “अगहार” बनते हैं, बाद में 32 अगहार दिखाए गए, इस प्रकार नृत्य और नृत्य की शिक्षा लेकर उसे नाटक में जोड़ा गया। आकाशवाणी दूरदर्शन कलाकार लोक गायक श्री दयाराम सारोलिया ने देवाधिदेव शंकर के नटराज स्वरूप पर समर्पित लोक गायन का अपनी सुमधुर वाणी से उपस्थित सुधीजन को अभिभूत कर दिया, आध्यात्मिक प्रवक्ता श्री घनश्याम जोशी ने श्री कृष्ण की 14 विद्या और 64 कलाओं से श्री कृष्ण की परीपूर्णता पर महत्व बताते हुए उनके पाठ करने से जीवन में सफलता प्राप्त होने के मूल मंत्र को बताया। कार्यक्रम में संस्कार भारती के वरिष्ठ डॉ रमेश चंद्र सोनी, श्री जितेंद्र त्रिवेदी, श्री उमेश जोशी, श्री रोहित सोनी, श्रीमती अराधना जोशी, श्री रोहित सिंह गुर्जर, श्री सुमित जोशी, श्री वीरेंद्र काजवे और बड़ी संख्या में घुंघरू नृत्य महाविद्यालय के प्रशिक्षु सहित कलासाधकों ने सहभागिता की। संचालन उमेश जोशी ने किया तथा जितेंद्र त्रिवेदी ने आभार व्यक्त किया।