27 वर्ष बाद भाजपा ने यहां जीत का परचम लहराया, पूर्व महापौर विधायक प्रत्याशी और प्रतिपक्ष नेता को शीतल ने रोमांचक मुकाबले में हराया

देवास में इस बार नगर निगम के चुनाव 7 वर्ष बाद होने के कारण आमजन बहुत उत्साह था। तो सबसे ज्यादा रोमांचक चुनाव कुछ वार्ड में हुए तो उसमें यह वार्ड नंबर 30 भी है जहां पर इस बार पूरे देवास शहर की नजर थी क्योंकि यहां से अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने खाता भी नहीं खुला था। वार्ड क्रमांक 30 में सन 1995 से कांग्रेस का कब्जा था सबसे पहले यहां पर कांग्रेसी नेता हारून शेख की पत्नी स्वर्गीय शकीला हारून पार्षद का चुनाव जीती और उस समय पार्षद द्वारा महापौर चुने जाते थे तब देवास की पहली महिला महापौर बनी दूसरा उनके बहू और बेटे दोनों पार्षद बने तीसरा हारून शेख एक बार पार्षद का चुनाव लड़ कर जीतकर प्रतिपक्ष नेता बने और एक बार तो उनको देवास विधानसभा से विधायक का टिकट भी मिला जो हार गए इतने बड़े नेता के सामने एक युवा शीतल गहलोत चुनाव लड़ रहे थे जिनका अभी तक चुनाव लड़ने का कोई अनुभव भी नहीं था और सबसे बड़ी बात संगठन से इन्होंने यह टिकट मांगा था संघ के दमदार नेता होने के कारण शीतल गहलोत को दूसरे वार्ड से भी टिकट मिल रहा था ।परंतु उन्होंने यह वार्ड जो अभी तक 2 दशक से अधिक समय से कांग्रेस के पास रहा है उस पर ही लड़ने की बात कही और संगठन ने इनको वार्ड क्रमांक 30 से ही टिकट दिया टिकट देने के बाद भी शहर में कई लोगों के मुंह पर चर्चा थी कि नया लड़का है इतने बड़े नेता जो 5 चुनाव लगातार जीत चुके हैं उनको हराना मुश्किल है परंतु शीतल गहलोत ने अपने नाम के अनुरूप शीतल व्यवहार के साथ शीतल रहकर संघ की कार्यप्रणाली के अनुरूप की पूरे चुनाव का प्रबंधन किया जो देखने लायक था। किसी विधायक द्वारा विधानसभा में लड़े जाने वाले चुनाव की तरह पूरी तैयारी के साथ पार्षद का चुनाव लड़ा। सबसे बड़ी बात इनके साथ क्षेत्र की जनता में युवा महिला और वरिष्ठ तक कदम से कदम मिलाकर कार्य कर रहे थे और सब की नजर इस वार्ड पर थी। पिछले 5 वर्षों से तैयारी कर वोटर लिस्ट से लेकर पूरे वार्ड में सतत संपर्क रखने के साथ हर माइनस प्लस पर नजर रखी और उसके बाद मैदान संभाला शीतल गहलोत 372 मतों से विजय हुए इनकी जीत से क्षेत्र में हर्ष व्याप्त है ।

You may have missed