पर्दे के पीछे कौन , प्यादे भी बन रहे रातों-रात वजीर, निगम चुनाव में रोमांच बड़ा, अपने समर्थकों के लिए खुले रूप से मैदान में आए पूर्व मंत्री और विधायक
देवास में अभी क्या चल रहा है तो सब यही कहेंगे चुनाव के सिवा कुछ नहीं चल रहा है। नगर निगम के चुनाव रोमांचक हो गए हैं तो उसमें निर्दलीय पार्षद ने माहौल बना दिया है।
अचानक निर्दलीय पार्षद का माहौल कैसे बन गया ।जिनको दोनों संगठन ने टिकट नहीं दिया वह इतने भारी कैसे हो गए ,कौन सी राजनीतिक शक्ति है जो उनको परदे के पीछे सीधा सपोर्ट कर रही है । प्यादे कैसे अचानक वजीर बनने जा रहे हैं। देवास में पहली बार निर्दलीय अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो स्पष्ट है पर्दे के पीछे नामी नेता है अपने नाम से ज्यादा निर्दलीय पार्षद को उनका सहारा है।
शिकवा शिकायत हो रही है और बाद में बहुत होगी परंतु जो जीता वही सिकंदर निर्दलीय जीतने के बाद संगठन में ले ही लिया जाता है । कारण सभापति से लेकर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव आने पर सारे संगठन सब भूल केवल जीत और जीते हुए को संगठन के अंदर ले ही लेते हैं अभी तक यही होता आया है।
यहां तक कि पिछले चुनाव में निर्दलीय बगावत कर चुनाव लड़े प्रत्याशी को इस बार संगठन ने टिकट दे दिया है इस कारण निर्दलीय पावरफुल होकर खुले रूप से चुनाव लड़ रहे हैं और उनके समर्थक भी पर्दे के पीछे दमदारी से साथ दे रहे हैं। निर्दलीय बागी में उदाहरण के तौर पर महापौर का चुनाव लड़े शरद पाचुनकर चुनाव जीते संगठन ने जीतने के बाद वापस ले लिया और प्राधिकरण अध्यक्ष का पद भी दिया उसके बाद दूसरी बार फिर वे निर्दलीय लडे और फिर संगठन ने वापस ले लिया । पूर्व सभापति अंसार हाथी वाले ने भी भाजपा से बगावत कर सभापति का चुनाव लड़ा उनको भी संगठन लेने के साथ उनके परिवार को टिकट भी दे दिया गया। इसी तरह कांग्रेसमें शौकत हुसैन पहले पार्षद का चुनाव निर्दलीय लड़ा उसके बाद लगातार संगठन ने उनको या उनके परिवार को ही टिकट दिया ।ऐसे कई उदाहरण है अभी हाल में भारतीय जनता पार्टी ने इसके पूर्व निर्दलीय चुनाव लड़े राम यादव को टिकट दे दिया है। अब राजेश यादव जिनको पहले टिकट मिला था जीते थे वह निर्दलीय लड़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में अभी तक यही होता आया है इसलिए निर्दलीय निष्कासन की कार्रवाई से नहीं डरते खैर जो भी हो अभी तो निर्दलीय देवास के कई वार्ड में भारी पढ़ रहे हैं और कई नामी नेताओं के समीकरण भी बिना बिगाड़ दिए है ।
अपने समर्थक को टिकट नहीं दिला पाए नेताजी अब पर्दे के पीछे से समर्थकों के सारे साम दाम दंड भेद अपना रहे हैं। सबसे ज्यादा निर्दलीय पार्षदों में पर्दे के पीछे अचानक माहौल बदलने में भाजपा के एक बाहुबली नेता और कांग्रेस के भी ऐसे ही नेता का नाम चल रहा है ।
इधर महापौर के लिए भारतीय जनता पार्टी से विधायक गायत्री राजे पवार और महाराज विक्रम सिंह ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। तो पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा कांग्रेस महापौर प्रत्याशी के लिए मैदान में आ गए हैं। अपने पार्षद प्रत्याशी के लिए भी अब वार्ड वार्ड घूम रहे हैं। पूर्व महापौर जय सिंह ठाकुर पूर्व पार्षद प्रदीप चौधरी ने भी अपने समर्थकों के लिए पूरा जोर लगा दिया है उन्होंने भी वार्ड वार्ड में मोर्चा संभाल लिया है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी डैमेज कंट्रोल करने के साथ अपने समर्थकों को जिताने के लिए भी मैदान में है। तो यही हाल भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष राजू खंडेलवाल इनको शहर के साथ सोनकच्छ विधानसभा भी देखना पड़ रही है। समर्थकों को जिताने के साथ डैमेज कंट्रोल करना पड़ रहा है। विधायक राजे और महाराज संयम वार्ड में घूमने के साथ अलग अलग टीम बनाकर अंतिम घंटों में पूरी ताकत झोंक रहे है। इस तरह पूरे शहर में माहौल केवल अभी चुनाव का है अब डैमेज कंट्रोल से कुछ नहीं होगा । सभी वरिष्ठ नेता केवल अपने समर्थक को जीता ले यही बहुत है समय कुछ घंटों का शेष है और आगे भविष्य तय होगा देवास का वार्ड का आम जनता बहुत सोच समझकर ही निर्णय दे। भावनाओं में ना बहे, जातिवाद ,आर्थिक प्रभाव छोड़ कर अपना वोट दे।
