पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म होने पर सरासर झूठ बोल रही है शिवराज सिंह सरकार।  कांग्रेस

देवास = प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को समाप्त कर चुनाव कराने का निर्देश दिया है शिवराज सिंह सरकार ने एक बार फिर अदालत में अपना ओबीसी विरोधी चेहरा पेश किया है अगर प्रदेश सरकार जोरदार तरीके से न्यायालय में ओबीसी वर्ग का पक्ष रखती तो आरक्षण समाप्त होने की नौबत नहीं आती।।                                                      शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के मामले का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव मैं ओबीसी आरक्षण समाप्त किया है । शिवराज सिंह चौहान सरकार उच्च न्यायालय में इस बात को सही तरीके से नहीं रख सकी आरक्षण निरस्त होने के फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को नुकसान हुआ है । इसी के साथ कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि आर एस एस और भारतीय जनता पार्टी की सोच हमेशा से आरक्षण को समाप्त करने की रही है। अपने षड्यंत्र ,गलतियों और अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी चरित्र को छुपाने के लिए बीजेपी कांग्रेस पार्टी पर झूठे इल्जाम लगा रही है।  प्रदेश के पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट में या उच्च न्यायालय में नहीं गई थी इस बात को लेकर कांग्रेस पार्टी ने 6 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में स्पष्ट शब्दों में सार्वजनिक कर दिया था।  संबंधित पक्षकार निजी हैसियत से न्यायालय में गए थे । कांग्रेस पार्टी ने ग्राम पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के असंवैधानिक पक्षों का विरोध किया था ,उसे सार्वजनिक किया था ,लेकिन कांग्रेस ने चुनाव का विरोध नहीं किया सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य निर्वाचनआयोग से यही बात कही है कि चुनाव में संवेधानिक प्रक्रिया का पालन किया जाए उच्च न्यायालय में पक्षकारों ने रोटेशन प्रणाली पर सवाल उठाया था जो कि ओबीसी आरक्षण से भिन्न विषय है। इस विषय को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता सरासर झूठ बोल रहे हैं । जब सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण खत्म करने का फैसला सुनाया तो यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह आरक्षण के समर्थन में उचित तर्क न्यायालय में पेश करती लेकिन मध्य प्रदेश सरकार के वकीलों ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है जिसकी कांग्रेस निंदा करती हे । शिवराज सरकार का ओबीसी रवैया पहली बार सामने नहीं आया है इससे पहले नौकरी में आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में भी सरकार की ओर से वकील पेश नहीं हुए और मामले की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए टल गई ।      2003 में जब कांग्रेस की सरकार ने प्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण दिया तब भाजपा   की सरकार ने अदालत में ढंग से पैरवी न करके आरक्षण को समाप्त हो जाने दिया था 2019 में जब प्रदेश में कमलनाथ जी की सरकार ने एक बार फिर से ओबीसी को 27% आरक्षण दिया तो उसे भी समाप्त करने के लिए भाजपा सरकार जानबूझकर उच्च न्यायालय में सही तरीके से पैरवी नहीं कर रही है । ठीक यही यही तरीका पंचायत चुनाव मैं ओबीसी आरक्षण निरस्त कराने के लिए भी शिवराज सरकार ने अपनाया है । भारतीय जनता पार्टी ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में ऐसी असवैधानिक गलतियां छोड़ दी थी जिससे ओबीसी के हित प्रभावित हो भाजपा सरकार को इस मामले में सभी कानूनी पहलुओ पर विचार करके तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ओबीसी वर्ग के लोगों को पंचायत में उनका हक मिल सके । कांग्रेस पार्टी ओबीसी वर्ग को उनका हक दिलाने के लिए कमलनाथ जी के नेतृत्व में कृत संकल्पित है और इसके लिए कांग्रेस को सड़को पर आकर संघर्ष करेगी और सामाजिक न्याय की लड़ाई को जारी रखेगी। ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने का भाजपा का षड्यंत्र कभी पूरा नहीं होगा ।

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