करें कौन भरे कौन, जोश में होश दोनों ने खो दिए,        रानी निकली महल से और कार्यकर्ताओं को बचाया,       जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन चर्चा में,           देवास की बेटी की सहायता के लिए बड़े कदम,        स्तंभ का विरोध , शंकरगढ़ पहाड़ी पर भी लगी नजर,

भगत… बाबा प्रणाम होली की शुभकामनाएं।                बाबा…. प्रणाम बेटा होली की शुभकामनाएं।

भगत…. बाबा शहर में बवाल चल रहा था । अब थम गया है। बाबा…. बेटा जोश में होश खोने वालों का यही हाल होता है। इनकी बात कर रहा है तो क्रिकेट मैच के बाद देश प्रेमी अपनी खुशी को प्रकट करने के लिए दीवाने होकर शहर में अपनी खुशी का प्रकट उत्सव मनाते हैं। सबके तरीके अपने अलग-अलग है ।कोई मोटरसाइकिल पर तिरंगा लेकर निकलता है तो कोई ढोल पर  थिरकता है। कहीं अपने घर में और परिवार में ही खुशी मना लेते हैं ।तो युवा जो सुबह से टीवी के सामने बैठे होते हैं अपना जोश सड़क पर दिखाते हैं। और इसके लिए किसी को बुलावे की जरूरत नहीं होती शायद कोई नेता बुलाए तो इतने लोग एक साथ कुछ पल में एक जगह इस तरह एकत्रित न हो लेकिन जब हमारे देश की बात होती है। तो फिर हर युवा दीवाना होता है। और किसी के बुलावे का इंतजार नहीं करता और यही सब वर्षों से चल रहा है। मैच जीते सीधे अपनी प्रसन्नता को लेकर सयाजी द्वार लाल गेट पुराने लोग लाल गेट ही कहते है। वहां पर इतनी भीड़ और नजारा अलग और इसी भीड़ में कुछ युवा जोश में होश खो बैठे कुछ हो सकता हो अलग मदहोशी में हो परंतु 99% केवल देश प्रेम के लिए अपना प्रदर्शन कर रहे थे। अब कुछ की गलती भारी पड़ गई।

भगत…. हा बाबा कुछ चंद लोगों के कारण पूरा माहौल बिगड़ गया।                  बाबा…. हां बेटा हजारों की भीड़ और केवल प्रसन्नता और देश प्रेम इस बीच कुछ चंद पटाखे इस तरह फोड़ नहीं फेक रहे थे कि हम खुद असुरक्षित हो गए थे । और नया बवाल खड़ा हो गया पहली बार देवास शहर में पुलिस की गाड़ी पर और पुलिस जो हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहती है ।उन पर कुछ चंद लोगों ने भीड़ की आड़ में खेल की जीत में खेल कर दिया।

भगत ….. बाबा टी आई निपट गए।                             बाबा…. बेटा इधर भी जोश में होश खो दिया सबसे पहली बात की इतने बड़े मैच फाइनल चल रहा था पहले से तैयारी होना थी। कुछ नहीं भीड़ का कोई कुछ नहीं कर सकता फिर वहां पर जो हुआ सभी को दिखाई दे रहा था। लेकिन इसके बाद एक अच्छी पारी खेलने वाले टी आई अजय गुर्जर ने गलती तो कर ही दी। उनके सिपाही ने मेहनत पर पानी फेर दिया। अपनी आजीविका चलाने वाले खिचड़ी व्यवसाय यादव के साथ मारपीट के बाद भी मामला सुलझ रहा था। लेकिन जल्दबाजी में एक और गलती हो गई वीडियो के आधार पर 10 युवाओं को गंजा कर जुलूस निकाल दिया। बस यही गलती भारी पड़ गई।

भगत… रानी मैदान में आ गई। बाबा…… मामला गंभीर हो गया था पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ था केवल छोटा सा विषय था कि इतने बड़े आतंकवादी अपराधी नहीं थे की गंजा कर जुलूस निकाला जाए। और फिर होता क्या है। दिखता क्या है सभी जानते हैं और राजनीति में क्या होता है राजे महल से निकली और पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची अच्छा हुआ ।अपने कार्यकर्ता के लिए जनता के लिए विधायक को मैदान में आना ही चाहिए ।फिर जांच का भी विषय है । सच सामने आएगा ही लेकिन एक गलती दोनों पक्ष की और दोनों पक्षों को भारी पड़ी। देश भक्ति का जुनून जज्बा मैच में और कहीं अवसर पर देखने को मिलता है जहां कोई किसी नेता को आवाज नहीं लगना पड़ती कि इतने लोग यहां पर सम्मिलित हो पूरा शहर उमड़ जाता है देश भक्ति और धार्मिक आयोजन में बस अगली बार से पुलिस प्रशासन ध्यान रखें एक टी आई जो दबंग से शैली के कारण अलग पहचान बन चुके थे और पुलिस अधीक्षक ने तो देवास में पुलिस का अलग माहौल बना दिया था ।लेकिन छोटी-छोटी गलतियां पुलिस की सारी मेहनत पर पानी फेर रही है ।आप पुलिस अधीक्षक को यह विचार करना चाहिए की गलतियां कहां हो रही है थोड़ा सा सर्जरी की आवश्यकता है ।पहले पुलिस अधीक्षक पुनीत गहलोत है जो अपनी टीम को आगे बढ़ा रहे हैं तो जनता के लिए भी बहुत कुछ रोज विचार मंथन कर नया करने का प्रयास करते हैं। हम पुलिस के साथ है जो दिन रात हमारे साथ खड़ी है। लेकिन जनता के साथ भी अन्याय नहीं होने दे सकते पत्रकारिता में इसलिए तो है।

भगत …टी आई के लिए यह गेट वाली जगह पनौती है।     बाबा….. सही बात है इसके पहले टीआई अजय गुर्जर कांग्रेस द्वारा पुतला दहन में कार्यकर्ताओं से भीड़ गए थे और विवादित हो गए थे लेकिन कांग्रेसियों ने मामले को वहीं समाप्त कर दिया है । इसके बाद भी एक और आयोजन में यही सब कुछ हुआ। लेकिन वही सब कुछ समाप्त परंतु तीसरी बार यह जगह उनके लिए पनौती बन गई ।

भगत….. पुतला दहन में पुलिस और मीडिया जबरदस्ती माहौल बना देती है। बाबा…. विपक्ष का पुतला दहन आंदोलन चाहे किसी भी पार्टी का हो अगर पुलिस और मीडिया नहीं हो तो 100 पुतले जला दो बस जलते रहो और सोशल मीडिया पर वायरल कर दो लेकिन पुलिस छीना झपटी करती है मुद्दे को हवा देती है और मीडिया भी इसी छीना झपटी को बड़ी खबर बनाकर हवा देती है इसलिए पुतला दहन सबसे सस्ती लोकप्रियता का साधन बन गया है।

भगत….. बाबा जिला चिकित्सालय में शांति है। बाबा… बेटा इसमें देने सभी मुद्दों से ध्यान हटा दिया है वहीं जिला चिकित्सालय है वही समस्या है। कलेक्टर ऋषि राज सिंह द्वारा जिला चिकित्सालय में सुधार के लिए प्रयास किए हैं लेकिन वहां पर सुधार तो हो भी रहा है शायद अगर एक अलग नजर से देखे तो देवास में यह चिकित्सालय सर्व साधन और सर्व सुविधा युक्त होने के साथ शासन का मान बढ़ाते हैं ।लेकिन केवल चिकित्सा और स्टाफ के मन परिवर्तन की आवश्यकता है। कुछ तो ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं इसीलिए अभी भी जिला चिकित्सालय में आम जनता का भरोसा है। बस प्रशासनिक अधिकारी के साथ जनप्रतिनिधि और विपक्ष को एक बार एक मत होकर यहां का माहौल बदलने चाहिए।

भगत… सिविल सर्जन विवादित हो गए हैं।          बाबा… ऐसे बहुत सिविल कम सिविल सर्जन हुए जिनके खिलाफ स्टाफ ने शिकायत ना कि हो या कोई विवाद ना हुआ है। लगभग अभी डॉक्टर सारस्वत के खिलाफ माहौल बना हुआ है।

भगत… बाबा जांच पर क्यों आंच आती है। बाबा…. सबसे पहली बात प्रशासन यह बात क्यों नहीं समझता की डॉक्टर की जांच अगर डॉक्टर करेगा तो क्या कार्रवाई कर पाएगा। और फिर प्रशासनिक अधिकारी को नियुक्त भी करते हैं तो वह ऊंट पर बैठकर बकरी हकेलने का काम करते हैं। स्वयं जनता के लिए थोड़ा सा समय देकर जांच करें तो जिला चिकित्सालय में बहुत सुधार हो जाएगा। दूसरा महिला डॉक्टर की सबसे ज्यादा शिकायत और पुलिस में प्रकरण तक दर्ज हो चुके हैं । महिला चिकित्सा में सबसे ज्यादा बात आती है तो गायनिक विभाग तो सबसे पहली बात की अधिकांश अधिकारी स्पष्ट निर्देश दे चुके हैं कि डिलीवरी ऑपरेशन का समय सुबह का रखा जाए लेकिन महिला चिकित्सा के देर शाम और रात का ही क्यों रखती है क्योंकि उसे समय परिजन घबरा जाते हैं रात को कहां ले जाएं और मजबूर होकर जो चिकित्सk बोलती है वही करते हैं सबसे अच्छा है कि ऑपरेशन का समय से दिन में ही किया जाए तो आधी समस्या हल हो ही जाएगी बाकी देवास जिला चिकित्सालय में सारी सुविधाएं है सरकार के लिए उपलब्धि है लेकिन जनप्रतिनिधि और प्रशासन इसे भुना नहीं पाते हैं।

भगत…. फिर एक बेटी दुर्घटना का शिकार हो गई। बाबा…. यह बस वालों की थोड़ी से लालच में सवारी के लिए अंधी दौड़ किसी दिन बड़े हादसे को जन्म देगी आज देवास की बेटी जीवन और मौत से संघर्ष कर रही है पत्रकार समाजसेवी और प्रशासन मदद के लिए खुलकर सामने आया है। देवास के पत्रकार साथी पत्रकारिता के साथ समय-समय पर आम जनता के लिए खुले रूप से मैदान में आते हैं तो समाज से भी । अब बस भगवान हमारी बेटी को सकुशल वापस देवास लौटा दे। जहां चारों ओर से हाथ सहायता के लिए बड़े वही बस ऑपरेटर संघ क्यों नहीं आगे आया और फिर जिस बस से बच्ची का एक्सीडेंट हुआ है वही काम से कम थोड़ी सी सहायता के लिए आगे आ जाता तो हमारी सहानुभूति बस संचालकों के प्रति भी रहती है रोजगार जरूरी है लेकिन भागम भाग और एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा में एक दिन स्वयं भी नहीं पड़ जाओगे तो पता नहीं चलेगा। हमारे देवास की जनता शांत और सरल है नहीं तो बस चला भी नहीं पाओगे।

भगत…. अहिंसा स्तंभ और विरोध। बाबा….. देवास शहर में सबसे व्यस्ततम मार्ग पर ठीक कलेक्टर कार्यालय के सामने अहिंसा स्तंभ के लिए निर्माण कार्य जारी है। निसंदेह एक अच्छा स्तंभ होगा हमारे संत श्री द्वारा एक प्रवचन में की गई बात सार्थक होने जा रही है। अब आप जगह का कितना ही विरोध कर लो बनना तो वही है तो फिर क्यों विरोध करें। देवास में प्रतिपक्ष नेता की भूमिका अपनी अलग ही शैली में निभाने वाले प्रदीप चौधरी को जैन समाज के विरोध का भी सामना करना पड़ा। जल मुर्गी की तरह अचानक प्रकट होते हैं। और फिर अचानक अपनी दुनिया में खोने वाले प्रदीप चौधरी कम से कम शहर के कई मुद्दों में उभर कर सामने आए तो कहीं में राजनीतिक रूप अलग दिखाई देता है। फिर यहां पर धार्मिक मामला है। फिर सभापति रवि जैन, विधायक प्रतिनिधि भारत चौधरी और जैन समाज के संयुक्त रूप से सामने आने के बाद कौन टिक सकता है। कुछ भी हो तो रहा है ।धनगढ़िया तो देवास में सब कुछ खरीद चुका है ।फिर हम एक अच्छे स्तंभ का विरोध क्यों करें लगाओ भैया जहां लगाना हो।

भगत… फिर बाबा शंकरगढ़ पर फिर नजर लग गई क्या। बाबा….. बेटा किसी कंपनी द्वारा शंकरगढ़ पर बड़ा प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया है अभी कुछ हुआ नहीं है । फिर भी देवास की धरोहर शंकरगढ़ पहाड़ी जो खनन माफिया से तो बच गई लेकिन उस पर कई प्रशासनिक अधिकारी और राजनेताओं ने खेल कर दिया पहले तो हमारे देवास की कई समाजसेवियों ने वहां पर सेवा की है और आज भी उसे ग्रीन बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं जिस तरह वरिष्ठ नागरिक मंच ने हमारे देवास का मंडूक पुष्कर जो कुछ लोगों द्वारा व्यावसायिक परिसर बनाया जा रहा था धनगढ़िया जैसे कई लोग उसे पर नजर रखे थे लेकिन बचा लिया आज भी शहर के बीच एक अच्छा तालाब कुछ जागरूक लोगों के कारण बचा है तो शंकरगढ़ पर भी किसी का गढ़ नहीं बनने देना चाहिए। विकास कार्य हो और कुछ योजना भी आए तो उसे निजी हाथों में ना दे नहीं तो फिर यही कहना हुआ कि हमारा देवास पूर्ण रूप से बिक गया। अभी तो पहाड़ी बचाने वाले युवा समाजसेवी और जनप्रतिनिधि खुलकर सामने आए हैं जो वहां पर सेवा भी देते हैं। वैसे भी जिले में बहुत कम पहाड़ पर्वत बचे है । कई धार्मिक रूप में बदल गए तो कुछ खदान के लिए और कुछ बच्चे हैं तो रहने दो विकास कार्य भी हो तो जनता को स्पष्ट रूप से बात कर करो कि आखिर मंशा क्या है। कभी भगवान श्री कृष्ण ने पर्वत इसलिए बचाए थे कि हमारी गौ माता स्वतंत्र रूप से विचरण करें और प्रकृति का संतुलन बना रहे इसलिए गोवर्धन पूजा भी की जाती है। और आज फिर ऐसे ही श्री कृष्ण की जरूरत है जो जिले के पर्वत को बचाए रखें।

भगत …. बाबा देवास में धूलंडी से ज्यादा रंग पंचमी पर माहौल रहता है। बाबा… हां बेटा देवास अलग ही शहर है यहां पर पहले तो धूलंडी लगते ही नहीं थी कि रंग का उत्सव है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद धीरे-धीरे शहर के बाहर बस्ती और कॉलोनीयों ने इस मिथक को तोड़ दिया अब आधे गांव में दिवाली आधे गांव में होली की तरह धूलंडी भी शहर के बाहर बड़े जोश उत्साह के साथ मनती है तो रंग पंचमी का माहौल तो फिर अलग ही रहता है और फिर सबसे बड़ी निकलने वाली गैर वह रंग पंचमी पर आकर्षण का केंद्र रहती है।

भगत.. पहले कहते थे… का त्योहार होली और पैसे वालों का दिवाली। बाबा…. बेटा हमारे धर्म संस्कृति को किसी ने किसी तरीके से बदनाम कर उसे समाप्त करने की हर तरह से कोशिश की गई लेकिन वह और बढ़ती गई घटी नहीं अंग्रेजी संस्कृत वाली जरूर एकले पड़ गए। हमारा हर त्यौहार विज्ञान स्वास्थ्य से जुड़ा है और उसका कुछ ना कुछ लाभ जरूर है फिर प्राकृतिक रंग से खेले जाने वाली होली का भी अलग कारण है हमारे भगवान से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है फिर सामाजिक समरसता सभी एक उस एक दिन ना कोई राजा ना कोई रंक। सभी रंगों में एक रंग और अपने आप को भूलकर पूर्ण रूप से समर्पण करता यह रूप पूरे वर्ष में एक बार ही देखने को मिलता है तो रंग पंचमी पर सब एक हो जाए सब भूल जाए कि आप चाहे वह क्या है कहते हैं ना दुश्मन भी गले मिल जाते हैं। तो फिर हम तो अपने हैं क्यों ना एक साथ मनाए होली के बाद रंग पंचमी का ऐतिहासिक पर्व । लिखने का बहुत कुछ है और बहुत सारे विषय बाकी है अभी तो सभी को होली और धुलेंडी की शुभकामनाएं फिर मिलेंगे रंग पंचमी के पहले ही जय हिंद जय भारत जय श्री राम ।

भगत…. धनगढ़िया से रवि ने स्वास्थ्य विभाग की जमीन बचा ली। बाबा…. बहुत गहराई की बात कह दी यह भी गया ही था कहीं जगह धार्मिक मामले भी हमारी बहुमूल्य संपत्ति को बचा लेते हैं। धनगढ़िया से बचाने के साथ बहुत सा काम भी करवा लिया। कहीं गरीब को रोजगार मिल रहा है और देवास में प्रवेश द्वार के बाद ही जय गणेश जय श्री गणेश।

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