गीता की संस्कृत इतनी कठिन नहीं – डॉ विष्णु नारायण तिवारी*
विश्वगीताप्रतिष्ठानम्, देवास का गीता अभ्यास शिक्षा वर्ग का समापन गीता संदेश जन जागरण की भव्य यात्रा से हुआ। अन्तिम सत्र मै केन्द्रीय महामंत्री डॉ विष्णु नारायण तिवारी ने प्रतिभागियों को गीता अभ्यास के बारे में मार्गदर्शन देते हुए बताया कि अभ्यास तभी सफल होता है जब 1. यह पूरी तरह से बिना किसी निराशा के पालन किया जाता है। 2. लंबे समय तक पालन किया जाता है। 3. बिना किसी विराम के पालन किया जाता है। 4. बड़े सम्मान / विश्वास के साथ पालन किया जाता है। यदि सभी चार शर्तें पूरी हो जाती हैं, तो अभ्यास सफल होता है और दृढ़ता आ जाती हैं। गीता की संस्कृत इतनी कठिन नहीं है। कोई भी सामान्य संस्कृत पढ़ा व्यक्ति आराम से थोड़ा सा अभ्यास करके गीता के भावों को समझ सकता है। आप गीता या कोई भी संस्कृत का ग्रन्थ पढ़ना चाहते हैं तो संस्कृत जरूरी है। अनुवाद में वो बात नहीं आएगी। आ ही नहीं सकती जो मूल में आएगी। केन्द्रीय संगठन मंत्री श्री विष्णु प्रसाद शर्मा, श्री शिव कुमार आचार्य प्रांत प्रमुख ने देवास कार्यकारिणी की घोषणा करते हुए श्री जितेन्द्र त्रिवेदी, श्री नरेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ मनिषा सोनी, श्री बंशीधर केशवरे, श्री कमलकांत मेहता, श्री रमेश जोशी, श्री मनोज बजाज, श्री निरंजन सिंह ठाकुर, श्री पुरूषोत्तम दास वैष्णव, श्री घनश्याम जोशी, श्रीमती नमिता सोलंकी, श्री ओ पी तिवारी, श्री कपूरचंद राठौर, श्री यश जोशी, श्री शिवनारायण आर्य, श्री दिनेशचंद्र मेहता, श्री इंद्रजीत सोलंकी, श्री राजकुमार वर्मा, श्री उमेश जोशी को विभिन्न दायित्व सौंपे। अभ्यास वर्ग में श्री प्रकाश पवार, श्रीमती मनोरमा सोलंकी, श्री वायोग्य चेतना पीठम बागली आश्रम, श्री विजेंद्र उपाध्याय, श्री मनीष अग्रवाल, श्री हेमन्त वर्मा, श्री अरूण शर्मा, श्री सुनील पटेल, श्री राहुल चावड़ा, श्री प्रेम चावड़ा, श्री मनोहर पमनानी, श्री भूपेंद्र प्रजापत, श्री रमेश यादव, श्री दिनेश भूतड़ा, डॉ सारंगे, श्री राजेन्द्र मूंदड़ा, श्री प्रकाश विजयवर्गीय, श्री विनोद पटेल, श्री अनंत जोशी का विशेष योगदान रहा। संचालन श्री नरेन्द्र कुमार शर्मा व आभार श्री कमलकांत मेहता ने व्यक्त किया।
